छतरपुर को टी.बी. मुक्त जिला बनाने के लिये समन्वित प्रयास की जरूरत : कलेक्टर

छतरपुर को टी.बी. मुक्त जिला बनाने के लिये समन्वित प्रयास की जरूरत : कलेक्टर

Aditya Upadhyaya
Update: 2020-12-16 07:46 GMT
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डिजिटल डेस्क, छतरपुर। शासन की मंशानुसार क्षयरोगियों के चिन्हांकन और उपचार में स्वास्थ्य कार्यकर्ता और चिकित्सक जिम्मेवारी के साथ दायित्व का निर्वहन करें। क्षयरोगियों वाले क्षेत्रों में टीबी मरीजों को चिन्हांकित करने के लिए शिविर भी लगाया जाए। छतरपुर जिले को टीबी मुक्त बनाने के लिए सभी के समन्वित प्रयास की जरूरत है। कलेक्टर श्री सिंह ने यह बात कलेक्टर कार्यालय के सभागार में आज शाम सम्पन्न हुई टीबी फोरम एवं राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम की बैठक में कही। उन्होंने राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम के तहत जिले में हुई गतिविधियों की समीक्षा की और टीबी बीमारी के उन्मूलन के लिए जागरूकता गतिविधियां संचालित करने एवं ग्राम स्तर तक प्रचार-प्रसार सुनिश्चित कराने के निर्देश भी दिए। उन्होंने कहा कि निक्षय पोषण योजना के तहत उपचाररत मरीजों के बैंक खाते में 500 रुपए की राशि प्रतिमाह प्रदान की जाती है। शत-प्रतिशत मरीजों को इसके लाभ के लिए आधार, खाता नम्बर और मोबाइल नम्बर की जानकारी भी अपडेट कराएं। कलेक्टर ने कहा कि फील्ड वर्कर द्वारा मरीजों के चिन्हांकन के बाद संबंधित व्यक्ति का सही समय पर उपचार और दवा सेवन करना जरूरी है, जिससे मरीज सामान्य जीवन पुनः ठीक से व्यतीत कर सके। उन्होंने कहा कि मरीज की काउंसलिंग और संक्रमण से बचाव के बारे में जानकारी देना भी जरूरी है। निजी अस्पताल के चिकित्सक टीबी के लक्षण वाले मरीजों को संबंधित अस्पताल अथवा स्वास्थ्य केंद्र भिजवाएं। कलेक्टर ने टीबी की बीमारी से पूर्णतः ठीक हुए मरीजों से बात की और उपस्थितजनों से सुझाव भी लिए। जिला क्षय अधिकारी डा. शरद चैरसिया ने बताया कि जिले में इस वर्ष 3 हजार 586 नमूना जांच में 535 व्यक्ति टीबी पाजिटिव पाए गए हैं। जिले में 4 टीबी यूनिट और 17 डीएमसी केन्द्र कार्यरत हैं। बैठक में जिला पंचायत अध्यक्ष कलावती अनुरागी, सीएमएचओ डा. सतीश कुमार चैबे, सिविल सर्जन डा. लखन तिवारी सहित निजी चिकित्सक एवं फोरम के सदस्य तथा प्रतिनिधि उपस्थित रहे।

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