छोटीबाई ने नहीं फैलाए किसी के सामने हाथ, महिला होकर करती हैं हम्माली

छोटीबाई ने नहीं फैलाए किसी के सामने हाथ, महिला होकर करती हैं हम्माली

Bhaskar Hindi
Update: 2019-04-12 11:51 GMT
छोटीबाई ने नहीं फैलाए किसी के सामने हाथ, महिला होकर करती हैं हम्माली

डिजिटल डेस्क, मंडला। छोटीबाई झारिया पति पुन्नूलाल झारिया निवासी वार्ड नम्बर छह। यह नाम बच्चा से लेकर बुजुर्ग की जुबान पर है। छोटीबाई ने यह पहचान अपने बलबूते पर बनाई है। परिवार के भरण पोषण और विपरीत परिस्थितयों में किसी के सामने हाथ नहीं फैलाए और ना ही मदद मांगी। मेहनत और साहस के दम पर यह महिला सभी के बीच सम्मान पा रही है। हम्माली कर परिवार को दो वक्त की रोटी और बच्चों को बेहतर जीवन दे रही है। 

जानकारी के मुताबिक छोटीबाई झारिया पिछले बीस साल से निवास में हम्माली का काम कर रही है। महिला होने के बावजूद भारी भरकम बोरे उठा लेती है। पुरूषों के कंधे से कंधा मिलाकर वजन उठाती है। किसी को भी यह एहसास नहीं होता कि महिला को काम दिया है। निवास के पूरे बाजार में सब यही चाहते हैं कि मेहनतकश छोटी बाई ही उनके यहां हम्माली का कार्य करे। छोटीबाई पूरी ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा से अपना काम करती है। शुक्रवार निवास बाजार दिवस पर छोटीबाई सुबह से ही हम्माली के लिए पहुंच जाती है। यहां बाहर से आने वाले व्यापारी के ट्रकों से सब्जी उतारकर ठेले पर रखती और फिर दुकान तक ले जाती है। यहां ठेला खाली करने के बाद दूसरे व्यापारी की सब्जी लाती है। 55 से 60 किलो के बोरे पीठ पर उठाकर रखती है। छोटीबाई अपनी दो बेटी सुलेखा और राजकुमारी की शादी कर चुकी है। बेटी राखी और आशीष को बेहतर जीवन देने के लिए जी तोड़ मेहनत कर रही है।

दीदी के नाम से फेसम
निवास तहसील में बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक छोटीबाई को जानते हैं। बाजार में छोटीबाई दीदी के नाम से फेमस है। हर व्यापारी हम्माली के लिए दीदी कहकर ही बुलाता है। छोटीबाई के चेहरे पर कभी थकान नही दिखती, आवाज सुनते ही दीदी हम्माली के लिए मुस्काती हुई पहुंच जाती है। सुबह से लेकर शाम तक छोटीबाई को काम की कमी नही रहती है।  

महिला सशक्तिकरण की मिसाल
महिला सशक्तिकरण के लिए छोटीबाई मिसाल हैं। छोटीबाई बताती है कि शुरू में व्यापारी काम नहीं देते थे, कि महिला वजनदार बोरे उठाकर काम नहीं कर पाएगी, लेकिन छोटीबाई ने परिवार के भरण पोषण के लिए यही काम चुना, धीरे-धीरे काम मिलने लगा और अब महिला की हिम्मत, लगन और मेहनत देखकर सभी काम देते हैं। छोटीबाई महिला सशक्तिकरण के लिए निवास में मिसाल बनी हैं। सब कहते कि महिला कुछ भी कर सकती है। कक्षा पांचवी तक पढ़ी छोटीबाई दबंग स्वभाव के लिए भी जानी जाती है। दो माह पहले पति का देहांत हो गया, लेकिन इस दुख में भी छोटीबाई का हौसला नहीं टूटा है। 

इनका कहना है
कई साल से देख रहा हूं, बहुत मेहनती है, सभी व्यापारी छोटीबाई से उसकी ईमानदारी और मेहनत देखकर काम कराते हैं। सभी यहां दीदी कहकर बुलाते हैं। महिलाओं के लिए मिसाल है। 
अब्दुल बसीर, सब्जी व्यापारी
 

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