चुटका परमाणु परियोजना के विस्थापितों का भोपाल मार्च, जनअदालत में रखेंगे अपनी बात

चुटका परमाणु परियोजना के विस्थापितों का भोपाल मार्च, जनअदालत में रखेंगे अपनी बात

Bhaskar Hindi
Update: 2018-06-01 12:08 GMT
चुटका परमाणु परियोजना के विस्थापितों का भोपाल मार्च, जनअदालत में रखेंगे अपनी बात

डिजिटल डेस्क, मंडला। 1400 मेगावाट की चुटका परमाणु परियोजना को लेकर जिन ग्रामीणों की मनचाही जमीन अधिग्रहण की गई। उनके विस्थापन के लिए मंडला के गोंझीमाल में 15 गुणा 12 के कबूतरखानानुमा आवास बनाकर दिए जा रहे हैं।  इस तरह एक छोटे से कमरे में पूरा परिवार कै से गुजारा करेगा यह विस्थापितों के समझ से बाहर है । गौरतलब है कि PM आवास 20 गुणा 20 के बनाए जा रहे है। इसी तरह की अन्य समस्याओं को लेकर विस्थापित ग्रामीण 4 जून को भोपाल में आयोजित जन अदालत में शामिल होंगे।

इस जनअदालत में भूतपूर्व न्यायधीश के समक्ष बरगी, चुटका के प्रभावित अपनी बात रखेंगे। सभी मांगों को लेकर सैकड़ों ग्रामीण सिहोर पहुंच कर 2 जून से पैदल यात्रा में शामिल होंगे। विस्थापित ग्रामीण परियोजना का पुरजोर विरोध कर रहे है। वही सरकार जल्द ही पुर्नवास कर दस साल से प्रतीक्षित परमाणु संयंत्र को शुरू करने के प्रयास में है।

बताया गया है कि चुटका परमाणु परियोजना को लेकर चुटका,कुंडा और टाटीघाट के ग्रामीणों को विस्थापितों की जमीन अधिग्रहण करने के साथ मुआवजा राशि अवार्ड कर दी गई और अब मंडला की ग्राम पंचायत गौंझीमाल की 73 एकड़ भूमि में 330 विस्थापितो के आवास बनाए जा रहे है। पिछले चार माह से निर्माण कार्य शुरू कर दिया गया है। न्यूक्लियर पॉवर कॉरपेशन इंडिया ने पुर्नवास के आवास बनाने का काम डी ढक्कर प्राइवेट लिमिटेड मुंबई को करीब 22 करोड़ में दिया है। 18 माह में कंपनी को आवास बना कर देना है। वहीं चुटका परमाणु विरोधी संघर्ष समिति इसका पुरजोर विरोध कर रही है। ग्रामीण परियोजना को रद्द करने की मांग कर रही है। समिति के नवरतन दुबे, दादू लाल कुड़ापे का कहना है कि अनुसूचित क्षेत्र में बिना ग्राम सभा प्रस्ताव के परियोजना सरकार के द्वारा लगाई जा रही।

परमाणु घर के लिए 430 हेक्टेयर भूमि और आवासीय प्रयोजन के लिए 67.70 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण कर मुआवजा के नाम पर कौडियां प्रभावितो को दे दी गई। उनका कहना है कि विस्थापितो के साथ फिर छलावा सरकार कर रही है। विस्थापितों के लिए जो आवास गौझीमाल में बनाए जा रहे  है। वे PM आवास से भी छोटे है।  परिवार में माता पिता पति पत्नि के साथ बच्चे होते है। कम से कम पांच से छह सदस्य  15 /12 के रसोई समेत कमरे में रह ही नहीं सकते है। सरकार के बेदखल के बाद प्रभावित यहां पहुंच भी गए लेकिन वे यहां नहीं रहेगें।

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