अहिरकर को मनाएंगे देखमुख, जानिए मतदान में विदर्भ के शहरों से कैसे आगे हैं गांव

अहिरकर को मनाएंगे देखमुख, जानिए मतदान में विदर्भ के शहरों से कैसे आगे हैं गांव

Tejinder Singh
Update: 2019-04-21 13:44 GMT
अहिरकर को मनाएंगे देखमुख, जानिए मतदान में विदर्भ के शहरों से कैसे आगे हैं गांव

डिजिटल डेस्क, नागपुर। विदर्भ में लोकसभा की सभी 10 सीटों के लिए मतदान हो चुका है। पहले व दूसरे चरण में हुए मतदान में इस क्षेत्र में सबसे आगे गांव रहे हैं। शहर की तुलना में ग्रामीण क्षेत्र में मतदान अधिक हुए हैं। लिहाजा हार जीत व वोटों के अंतर का गणित लेकर बैठे राजनीतिक कार्यकर्ताओं के अनुमान गड़बड़ाने के आसार है। गौरतलब है कि पहले चरण में 11 अप्रैल को नागपुर समेत 7 सीटों पर मतदान हुआ। दूसरे चरण में 18 अप्रैल को बुलढाणा, अमरावती व अकोला के लिए वोट डाले गए। िवदर्भ में सभी सीटों पर भाजपा शिवसेना गठबंधन ने 2014 में जीत हासिल की थी। भाजपा ने 6 व शिवसेना ने 4 सीटें जीती। इस बार भी दोनों दल ने पिछली बार की तरह ही सीटों की साझेदारी की है। कांग्रेस ने 8 व राकांपा ने 2 सीटों पर चुनाव लड़ा है। सबसे अधिक चर्चा नागपुर सीट की है। प्रमुख राजनीतिक केंद्र समझे जानेवाली इस सीट के लिए विदर्भ में सबसे कम 54.74 प्रतिशत मतदान हुआ है। विदर्भ में औसतन मतदान 62 से 63 प्रतिशत हुआ है। नागपुर से लगे रामटेक में 62.12 प्रतिशत मतदान हुआ है। अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित इस क्षेत्र में अनुसूचित जनजाति के मतदाताओं की संख्या भी अधिक है। रामटेक ग्रामीण की तुलना में शहरी क्षेत्र में कम मतदान हुआ है। कामठी में 58.60 प्रतिशत व हिंगणा में 58.43 प्रतिशत मतदान हुआ है। ग्रामीण क्षेत्र कहलानेवाले काटोल, सावनेर, रामटेक, उमरेड में 62 से लेकर 67 प्रतिशत तक मतदान हुआ है। चंद्रपुर की स्थिति भी कुछ ऐसी ही है। उद्योग व्यवसाय में मामले में चंद्रपुर आगे हैं। चंद्रपुर लोकसभा क्षेत्र के लिए 64 प्रतिशत मतदान हुआ है। लेकिन शहर में33 प्रतिशत मतदान ही हो पाया है। ग्रामीण में 71 प्रतिशत मतदान हुआ है। विदर्भ में नागपुर के बाद दूसरा बड़ा महानगर कहलानेवाले अमरावती की भी स्थिति अलग नहीं है। अमरावती लोकसभा के लिए 60.26 प्रतिशत मतदान हुआ है। अमरावती शहर में यह आंकडा 53.33 प्रतिशत पर ही सीमित रह गया है। बडनेरा में 52.34 प्रतिशत मतदान हुआ। जबकि ग्रामीण क्षेत्र अचलपुर में 65.71,मेलघाट में 69.97 व दर्यापुर में 65.30 प्रतिशत मतदान हुआ। वर्धा लोकसभा के लिए 61 प्रतिशत मतदान हुआ। उसमें वर्धा शहर 53.52 प्रतिशत है। यवतमाल लोकसभा में 61 प्रतिशत व शहर में 54.31 प्रतिशत, गोंदिया भंडारा लोकसभा में 68 प्रतिशत गोंदिया शहर में 65.76 व भंडारा शहर में 64.41 प्रतिशत मतदान हुआ है। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि इस बार किसान कर्जमाफी का मुद्दा चुनाव परिणाम पर असर डाल सकता है। कर्जमाफी को लेकर सत्तापक्ष व विपक्ष के अलग अलग दावे है। 

शहर राकांपा अध्यक्ष नेे की इस्तीफे की पेशकश, अनिल देशमुख कर रहे मनाने का प्रयास

उधर राष्ट्रवादी कांग्रेस शहर इकाई में असंतोष सामने आने लगा है। विरोध के चलते शहर अध्यक्ष अनिल अहिरकर ने इस्तीफे की पेशकश कर दी है। शहर व प्रदेश संगठन से जुड़े पदाधिकारियों ने विरोध कायम रखा है। लोकसभा चुनाव की व्यस्तता के बीच इस असंतोष को पूर्व मंत्री अनिल देशमुख ने शांत करने का प्रयास किया है। बताया जा रहा है कि चुनाव परिणाम घोषित हाेने तक मामले को शांत रखने की बात पर सहमति बन रही है। शहर राकांपा में अध्यक्ष को लेकर असंतोष नया नहीं है। पहले भी तत्कालीन अध्यक्ष के विरोध में प्रदर्शन होते रहे हैं। विरोध को देखते हुए ही अनिल देशमुख को शहर की जिम्मेदारी दी गई थी। देशमुख ने अपनी करीबी कार्यकर्ता को कार्याध्यक्ष बनाकर कुछ समय तक संगठन कार्य को आगे बढ़ाया। बाद में अहिरकर को अध्यक्ष बनाया गया। उद्याेग व्यवसाय से जुड़े अहिरकर ने पद संभालने के बाद शहर कार्यकारिणी को विस्तार दिया। लेकिन बाद में उनके साथ नजर आनेवाले नेता व कार्यकर्ता ही उनके विरोध में नजर आने लगे। बार बार कहा जाता रहा है कि अहिरकर राजनीति में भी व्यवसाय प्रतिनिधि के तौर पर काम कर रहे है। विविध प्रकोष्ठों के प्रमुखों के साथ उनका व्यवहार कारपारेट कंपनी के सीईओ जैसा रहता है। राजनीतिक मामले में रणनीतिक निर्णय त्वरित नहीं ले पाते हैं। विविध शिकायतों के साथ असंतुष्टों की बैठक मनपा के एक कक्ष में हुई। बताया जाता है कि उस बैठक में नगरसेवक दुनेश्वर पेठे, पूर्व विधायक दीनानाथ पडोले, ईश्वर बालबुधे, प्रवीण कुंटे, जावेद हबीब सहित अन्य प्रमुख पदाधिकारी थी। असंतुष्टों ने अहिरकर के संगठनात्मक नेतृत्व पर सवाल उठाते हुए उन्हें पदमुक्त करने का निवेदन अनिल देशमुख से किया। शुक्रवार को चले इस घटनाक्रम के दौरान अहिरकर ने देशमुख के समक्ष अपने पद से इस्तीफा देने की पेशकश कर दी। मामला बढ़ने पर देशमुख ने दोनों पक्षों को समझाया। बाद में अहिरकर बारामती में चुनाव प्रचार के लिए चले गए। उधर असंतुष्ट गुट के पदाधिकारियों की बैठकों का दौर चलता रहा । सोमवार को फिर से बैठक होनेवाली है। इस पूरे मामले पर अहिरकर ने कहा है कि इस्तीफे की बात निराधार है। कुछ सहयोगियों की शिकायत अवश्य हैं। पार्टी नेताओं के निर्देश पर वे सभी से समन्वय के साथ काम करेंगे। 

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