प्रकरणों में जब्त मूल्यवान धातु व कैश कोर्ट में करना होगा जमा

प्रकरणों में जब्त मूल्यवान धातु व कैश कोर्ट में करना होगा जमा

Anita Peddulwar
Update: 2019-04-20 11:25 GMT
प्रकरणों में जब्त मूल्यवान धातु व कैश कोर्ट में करना होगा जमा

डिजिटल डेस्क, नागपुर। समाज में होने वाले आपराधिक प्रकरणों में पुलिस कई बार सोना, चांदी, अन्य मूल्यवान धातु या फिर कैश जब्त करती है, लेकिन इसे कोर्ट में जमा नहीं करती। नोटबंदी के दौरान पुलिस थानों में जब्त नोटों को बदला भी नहीं गया। नागपुर मुख्य न्यायदंडाधिकारी रत्नाकर सालगांवकर ने इस पर संज्ञान लेते हुए उन्होंने इस दिशा में जिले के सभी थाना प्रभारियों और अपने अधीनस्थ न्यायालयों के लिए परिपत्रक जारी किया है। परिपत्रक में कहा गया है कि, आपराधिक मामलों की जांच के दौरान जब्त रकम और अन्य मूल्यवान वस्तुओं को कोर्ट में जमा नहीं किया जाता। उलट इनके हेर-फेर के कई मामले कोर्ट में विचाराधीन हैं। कई बार निजी खाते खोलकर रकम उसमें रखी जाती है, जबकि ट्रेजरी रूल्स के मुताबिक ऐसा नहीं किया जा सकता। इस पूरी प्रकिया में जो व्यक्ति रकम प्राप्त करने का पात्र है, उसे रकम नहीं मिल पाती और ब्याज का भी नुकसान होता है। 

कैश कोर्ट में जमा कराएं
मुख्य न्यादंडाधिकारी ने आदेश जारी किए हैं कि, जिन मामलों की जांच जारी है और जिन मामलों की जांच पूरी करके चार्जशीट दायर की जा चुकी है, उनमें जब्त रकम 30 अपैल तक कोर्ट में जमा कराएं। वहीं भविष्य में जिन भी प्रकरणों में पुलिस रकम जब्त करें उसे 10 दिनों के भीतर कोर्ट में जमा कराएं। इसके अलावा जिन नोटों का पंचनामा किया जा चुका है और उनका नंबर पंचनामे में दर्ज है, ऐसे नोटों को पुलिस थाने में नहीं, कोर्ट में सबूत के रूप में रखें। मुख्य न्यादंडाधिकारी  ने अपने अधीन सभी न्यायालयों को आदेश दिए हैं कि, जब भी उनके पास जब्त रकम, कैश सिक्युरिटी रकम, कोर्ट में जमा करने वाली अन्य किसी भी प्रकार की रकम, जिसे पक्षकार को वापस लौटाना हो, उसे केस की अवधि विचार में रख कर कम या लंबे समय के लिए फिक्स डिपॉजिट करें।

पीला-सफेद ना लिखें, गहनों की सुनार से जांच कराएं
सोने वा अन्य मूल्यवान धातू को जब्त करने के बाद उनका वर्णन करते वक्त पुलिस केवल सफेद-पीले रंग की धातू का उल्लेख करती है, ऐसे में हेर-फेर की संभावना बढ़ जाती है। आदेश में कहा गया है कि, मूल्यवान धातू को जब्त करने के बाद पुलिस तुरंत सुनार से उसकी जांच करवाकर उससे रसीद लें। वर्णन में सुनार का नाम व अन्य जरूरी दस्तावेजों का उल्लेख कर उसे तुरंत कोर्ट में जमा कराएं। कोर्ट के सभी न्यायदंडाधिकारियों को भी हर माह की पहली तारीख को सोने-चाांदी और जब्त रकम का संज्ञान लेने के आदेश दिए गए हैं। 
 

Tags:    

Similar News