कोरोना वायरस से अफवाह : चिकन व्यवसाय 40% घटा

कोरोना वायरस से अफवाह : चिकन व्यवसाय 40% घटा

Anita Peddulwar
Update: 2020-02-13 06:12 GMT
कोरोना वायरस से अफवाह : चिकन व्यवसाय 40% घटा

 डिजिटल डेस्क, नागपुर।  कोरोना वायरस के डर ने मांस विक्रेताओं के व्यवसाय पर बड़ा असर डाला है। सोशल मीडिया पर "नो मीट, नो वायरस" नाम से वायरल हो रहे मैसेज ने खासकर पोल्ट्री फार्म और मुर्गियों का मांस बेचने वालों को नुकसान पहुंचाया है। कोरोना के कारण करीब 40 प्रतिशत तक व्यवसाय घटने की आशंका जताई गई है। नागपुर जिले में ही करीब 5 हजार पोल्ट्री फार्म संचालक और लगभग 15 हजार खुदरा विक्रेता हैं। इस पर 70 से 80 हजार लोग जुड़े हैं। जिनके जीवन पर इसका असर होने की आशंका जताई गई है। नागपुर ही नहीं बल्कि संपूर्ण महाराष्ट्र में इसका प्रभाव है। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे मैसेज के खिलाफ पोल्ट्री फार्म्स एंड ब्रीडर्स एसोसिएशन (एमएच) ने पुणे के साइबर थाने में शिकायत भी दर्ज की गई।

मैसेज से व्यवसायी परेशान
चिकन विक्रेता लोगों को यह बताने में लगे है कि कोरोना वायरस का चिकन से कोई संबंध या लेना-देना नहीं है। यह जानबूझकर अफवाह फैलाई जा रही है। नागपुर स्थित ताज पोल्ट्री के संचालक तनवीर अहमद ने मुंबई पशु चिकित्सा कॉलेज में पोल्ट्री विभाग के प्रमुख डॉ. अजित शंकर व महाराष्ट्र पशु और मत्स्य विश्वविद्यालय (माफसु) की रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया कि बॉयलर बडर्स में कोरोना वायरस होना अफवाह मात्र है। पक्षियों की परिवर्तित की गई तस्वीरें वाट्सएप, फेसबुक और अन्य मीडिया पर प्रसारित की जा रही हैं। जो सही नहीं हो कर झूठ और अफवाह मात्र है। कुछ बॉयलर बर्ड के बॉडी पार्ट्स को सोशल मीडिया पर दिखाया जा रहा है, वास्तव में वो रानीखेत प्रकोप के लक्षण है, ना कि कोरोना वायरस के।

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उबालने से जीवित नहीं रह सकता वायरस
तनवीर अहमद ने बताया कि भारत में खाने की विधि सबसे सुरक्षित है। चिकन और मटन को उबाल कर पकाया जाता है। पानी को 100 डिग्री तापमान पर उबाला जाता है। जिस कारण इस तापमान पर कोई भी वायरस जीवित नहीं रह सकता। 27 से 45 डिग्री से ऊपर के तापमान पर कोई भी वायरस जीवित नहीं रहता है। इसके अलावा भारत में मांसाहारी वस्तुओं को पकाते समय हल्दी जैसे औषधिय गुणों वाले मसालों का उपयोग किया जाता है। भारत में पशुओं में वायरल का कोई उदाहरण भी नहीं है। 
 

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