सात साल में नहीं हो सका दाभोलकर हत्याकांड का खुलासा, सीबीआई भी नहीं पूरी कर सकी जांच 

सात साल में नहीं हो सका दाभोलकर हत्याकांड का खुलासा, सीबीआई भी नहीं पूरी कर सकी जांच 

Anita Peddulwar
Update: 2020-08-18 14:39 GMT
सात साल में नहीं हो सका दाभोलकर हत्याकांड का खुलासा, सीबीआई भी नहीं पूरी कर सकी जांच 

डिजिटल डेस्क, मुंबई। महाराष्ट्र अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के संस्थापक कार्याध्यक्ष डॉ नरेंद्र दाभोलकर की हत्या मामले की जांच सात साल बाद भी पूरी नहीं होने को उनके परिवार के सदस्यों ने अत्यंत वेदनादायक बताया है। मंगलवार को दाभोलकर की बेटी मुक्ता दाभोलकर और बेटे डॉ हमीद दाभोलकर ने कहा कि पिताजी की हत्या को 20 अगस्त को सात साल पूरे हो जाएंगे, लेकिन सीबीआई जैसी देश की प्रतिष्ठित जांच एजेंसी भी अब तक दाभोलकर हत्या मामले की जांच पूरी नहीं कर पाई। यह हमारे लिए काफी वेदनादायक दायक है। 

मुक्ता ने कहा कि दाभोलकर की हत्या के पीछे का सूत्रधार कौन है यह अभी भी स्पष्ट नहीं हो सका है। सीबीआई को दाभोलकर की हत्या के सूत्रधार को खोजना चाहिए। यदि सूत्रधार को नहीं पकड़ा गया तो देश के विवेकवादी विचारक, कार्यकर्ता और पत्रकारों की अभिव्यक्ति की आजादी पर खतरा खत्म नहीं होगा। मुक्ता ने कहा कि दाभोलकर हत्या मामले में संदिग्ध आरोपी के रूप में सीबीआई ने साल 2016 में डॉक्टर वीरेंद्र तावडे, अगस्त 2018 में  शरद कलसकर व सचिन अंदुरे और मई 2019 में वकील संजीव पुनालेकर व विक्रम भावे को गिरफ्तार कर उनके खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया।

सीबीआई ने संदिग्ध आरोपी अमोल काले के खिलाफ अब तक आरोप पत्र दाखिल नहीं किया है। इसके साथ ही संदिग्ध आरोपी अमित डिगवेकर व राजेश बंगेरा के खिलाफ भी आरोपपत्र दायर नहीं किया गया है। हत्या मामले की जांच डॉक्टर तावडे व काले के नाम पर आकर रूक गई है। मुक्ता ने कहा कि दाभोलकर, कॉमरेड गोविंद पानसरे, एम एम कलबुर्गी, गौरी लंकेश की हत्या में कुछ संदिग्ध आरोपी समान हैं। दो हथियारों का चारों हत्याओं में इस्तेमाल किया गया है। बेंगलुरु की प्रयोगशाला की रिपोर्ट से सिद्ध हो गया है कि दाभोलकर और पानसरे की हत्या एक ही बंदूक से की गई थी।  

 

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