दंतेवाड़ा : दन्तेवाड़ा के गौधन निर्मित दीये-गमलों से इसबार त्यौहारों में सजेंगे-महकेंगे देशभर के घर आँगन

दंतेवाड़ा : दन्तेवाड़ा के गौधन निर्मित दीये-गमलों से इसबार त्यौहारों में सजेंगे-महकेंगे देशभर के घर आँगन

Aditya Upadhyaya
Update: 2020-11-10 09:22 GMT
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डिजिटल डेस्क, दंतेवाड़ा। 9 नवंबर 2020 कलेक्टर श्री दीपक सोनी की पहल से जिले के युवाओं एवं महिलाओं को प्रशिक्षित कर उन्हें रोजगार से जोड़ा जा रहा है। हमारा जिला दक्षिण बस्तर दंतेवाड़ा छत्तीसगढ़ राज्य के दक्षिण में स्थित है और जहां मा दंतेश्वरी माता विराजमान है दंतेवाड़ा की कुल आबादी 283479 इसमें 90 प्रतिशत से अधिक अनुसूचित जाति और जनजाति के लोग निवास करते हैं कुल आबादी का अधिकतम 78.75 प्रतिशत हिस्सा गांव में करती है, जो मूलतः वनोपज से इमली संग्रहण, महुआ संग्रहण कृषि आदि पर निर्भर करते हैं। यहां की महिलाओं की साक्षरता दर 32.54 प्रतिशत है। यहां विहान की स्व-सहायता समूह की दीदीयां 28 हजार दिये और गोबर से निर्मित विभिन्न तरह के उत्पादन बना रही हैं। जिसमें 15 हजार दीयों का आर्डर मिल चुका है, एक पैकेट गोबर से निर्मित कलर दिये की कीमत 30 रखी गई है, जिसमें 6 नग दीये होते हैं और दिवाली स्पेशल पैकिंग की कीमत 200 रखी गई है जिसे इस दीपावली अपने परिवार, ऑफिस स्टाफ आदि को उपहार दे सकते हैं। गाय के गोबर का उपयोग प्राचीन काल से होता आ रहा है जो अपने आप में अलग महत्व रखता है, गोबर में पुतीरोधी गुण होने के कारण घर के आंगन की पोताई, पूजा में उपयोग, खाद बनाने में उपयोग करते आ रहे हैं। वर्तमान समय में भी गाय के गोबर का उपयोग कई प्रकार के सामग्री बनाने जैसे मूर्तियां, दीया, धूपबत्ती, हवन कुंड, गमला, सिक्के, स्वास्तिक, शुभ-लाभ की जा रही है। दंतेवाड़ा में भी विभिन्न सामग्रियों का निर्माण सभी जनपदों में अलग-अलग ग्राम संगठन और स्व-सहायता समूह के माध्यम से की जा रही है। अभी तक 22 परिवार लाभान्वित हो रहे हैं जो 24 हजार आर्टिकल बनाए जा चुके हैं। इसमें दंतेवाड़ा जिले के सभी ग्रामों जैसे गीदम कुआकोंडा कटेकल्याण के स्व-सहायता महिलाओं द्वारा विभिन्न प्रकार के गोबर आर्टिकल का निर्माण किया जा रहा है। राज्य शासन की सुराजी योजना ’’गौधन न्याय योजना’’ से जहाँ एक ओर गोबर विक्रय कर आय प्राप्त हो रहा है। गोधन से निर्मित होने वाले उत्पाद जैसे जैविक खाद, मूर्तियां, सजावटी वस्तुएं, दीया, गमला आदि की ट्रेनिंग स्व-सहायता समूह की महिलाओं को करायी गयी है। दीपावली को देखते हुए मेंडोली, बालपेट और मुचनार के स्व-सहायता की महिलाओं द्वारा गोधन से निर्मित दीये एवं गमलों का निर्माण किया जा रहा है साथ ही टेकनार के स्व-सहायता समूह की महिलाओं द्वारा मूर्तियों, सजावटी वस्तुओं का भी निर्माण किया जा रहा है। ये सामान पूरी तरह से ईको फ्रेंडली हैं। जिसे ’माँ दंतेश्वरी मार्ट’ से लिया जा सकता है, जिससे महिलाओं को आय प्राप्त हो सकेगी। दन्तेवाड़ा के राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन की महिला स्व सहायता समूहों द्वारा जिले में पहली बार लगभग 35 हजार गोबर से निर्मित बेहद आकर्षक दीये तैयार किए गए हैं। जिला प्रशासन के मार्गदर्शन से यह दीये देश के बड़े शहरों जैसे नागपुर, मुंबई और पुणे में अपना प्रकाश बिखेरेंगे। महिला स्व-सहायता समूहों द्वारा निर्मित 15 हजार दीये नागपुर शहर के ‘‘अवसर फाउंडेशन’’ द्वारा क्रय किया गया है जिसकी अनुमानित कीमत 60 हजार रूपये है। इस योजना से कई परिवार की जीविका चल रही है। रोजगार का साधन होने से कई गरीब परिवारो को सहायता मिल रही है, जिससे वे अपना और अपने परिवार का भरण-पोषण कर रही है।

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