रिक्शे में रखकर मॉर्चुरी भेज दिया शव, शर्मसार हुई मानवता

रिक्शे में रखकर मॉर्चुरी भेज दिया शव, शर्मसार हुई मानवता

Bhaskar Hindi
Update: 2017-08-24 05:16 GMT
रिक्शे में रखकर मॉर्चुरी भेज दिया शव, शर्मसार हुई मानवता

डिजिटल डेस्क, सतना। संसाधनों की कमी से जूझ रही पुलिस और मौत पर भी कमाई का रास्ता तलाशने वालों की संवेदनहीनता ने एक बार फिर मानवता को शर्मसार कर दिया है। खुद को बेहद संवेदनशील और मृतक के परिवार का शुभचिंतक साबित करने पर तुले लोगों ने पुलिस की भी नहीं मानी। बीच शहर के मकान में घंटों पड़ी रही लाश को लोगों ने खुद ही रिक्शे पर रखकर मॉर्चुरी के लिए रवाना कर दिया।

शहर के सिटी कोतवाली अंतर्गत मुख्त्यारगंज में आकाश होटल के पीछे रहने वाले रमेश कुमार सिंह 48 वर्ष की मौत हो गई थी। रमेश की लाश घर के एक कमरे में चादर के सहारे फांसी के फंदे पर झूलती उसकी पत्नी राजेश्वरी ने खिड़की से देखी थी। जिसके बाद बेटों गोलू और आकाश के साथ दरवाजा तोड़ कर उसे फंदे से नीचे उतारा था। घटना की सूचना पुलिस को दी गई थी, जिसके घंटों बाद हेड कांस्टेबल रामकेश दोपहर साढ़े 12 बजे पहुंचा। उसने पंचनामा तैयार किया और लिखा पढ़ी कर शव को पीएम के लिए भेजने वाहन का इंतजाम करने लगा। काफी देर तक वाहन नहीं पहुंचा तो लोगों का गुस्सा भड़कने लगा।

नहीं मानी बात

कुछ देर में लोगों ने शव को उठा लिया और सड़क पर लाकर रिक्शे से अस्पताल भेजने की कोशिश करने लगे। हेड कांस्टेबल ने रोका भी लेकिन वे नहीं मानें और अंततः शव को रिक्शे पर रखकर मरचुरी के लिए रवाना कर ही दिया। हालांकि रिक्शा कुछ ही दूर व्यंकटेश मंदिर तक पहुंचा ही था कि तब तक अस्पताल चौकी द्वारा भेजा गया शव वाहन पहुंच गया फिर शव को उसमे रखकर ले जाया गया, लेकिन तब तक में लोगों ने शुभचिंता और संवेदनशीलता के चक्कर में ऐसी जल्दी दिखाई जिसने मानवता को शर्मसार कर दिया।

इलेक्ट्रीशियन था मृतक

मृतक रमेश सिंह चौहान इलेक्ट्रीशियन था और आकाश होटल के पीछे अपने परिवार के साथ रहता था। वह शराब पीने का आदी था। पुलिस सूत्र बताते हैं कि बीती रात उसने घर पर खाना खाया और पीछे के कमरे में सोने चला गया। सुबह पत्नी राजेश्वरी ने बेटे गोलू को चाय दे कर पिता को उठाने भेजा, लेकिन दरवाजे पर काफी देर तक दस्तक देने के बाद भी न दरवाजा खुला और न ही कोई जवाब मिला। कुछ देर बाद राजेश्वरी ने खिड़की से झांक कर देखा तो सफेद चादर लटकती दिखी। उसने शोर मचा कर बेटों को बुलाया और फिर दरवाजा तोड़कर भीतर दाखिल हुए तो उनके होश उड़ गए। रमेश की मौत हो चुकी थी। रमेश ने आत्मघाती कदम क्यों उठाया इसकी वजह पता नहीं चल सकी है। पुलिस तफ्तीश कर रही है।

जुगाड़ से मिलता है शव वाहन

सतना पुलिस के पास शव वाहन नहीं है। जब भी कभी शव वाहन की जरुरत पड़ती है तो अस्पताल चौकी के माध्यम से उसका इंतजाम किया जाता है। जिला अस्पताल के पास शव वाहन वाले जमघट लगाए रहते हैं और अस्पताल में आने वाले हर गंभीर मरीज के आसपास उसकी मौत की प्रतीक्षा में मंडराते रहते हैं। पुलिस के काम में उन्हें पैसे नहीं मिलते इसलिए कोई जाना नहीं चाहता। बुधवार को भी ऐसा ही हुआ ,कोई जाने को तैयार नहीं था और एक दूसरे पर बात टाल रहे थे जिसके चक्कर में देरी हुई और लोगों ने शव को उठा कर रिक्शे पर रख दिया।

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