गर्भस्थ शिशु की मौत : दर्द से छटपटाती रही महिला, डॉक्टरों ने हाथ नहीं लगाया

गर्भस्थ शिशु की मौत : दर्द से छटपटाती रही महिला, डॉक्टरों ने हाथ नहीं लगाया

Tejinder Singh
Update: 2020-06-14 10:58 GMT
गर्भस्थ शिशु की मौत : दर्द से छटपटाती रही महिला, डॉक्टरों ने हाथ नहीं लगाया

डिजिटल डेस्क, नागपुर। मेयो अस्पताल में एक गर्भवती महिला दर्द से तड़पती रही, लेकिन उसका इलाज नहीं किया गया। दोपहर 3 बजे मोमिनपुरा की इस महिला को अस्पताल में भर्ती किया गया था। गर्भस्थ शिशु की मृत्यु हो जाने की जानकारी है, लेकिन डॉक्टरों ने कोरोना रिपोर्ट आने से पहले इलाज करने से मना कर दिया। 

अन्य जांच निगेटिव आए

मोमिनपुरा निवासी मकबूल अहमद (27) शनिवार को पत्नी शबनम बानो (24) को लेकर मेयो अस्पताल पहुंचा। उसे वार्ड नंबर 20 में भर्ती किया गया। शबनम असहनीय दर्द से कराह रही थी। डॉक्टरों ने जांच के बाद एचआईवी सहित अन्य टेस्ट किए। सभी रिपोर्ट निगेटिव अाई। पता चला कि बच्चे की गर्भ में ही मृत्यु हो गई है। परिजनों ने शबनम की परेशानी को देखते हुए  डॉक्टरों से तुरंत इलाज की गुजारिश की, लेकिन डॉक्टर ने यह कह कर साफ मना कर दिया कि जब तक कोरोना की रिपोर्ट नहीं आती, हम हाथ नहीं लगाएंगे। 

परिजनों काे पास जाने की अनुमति नहीं

पति मकबूल अहमद ने बताया कि हमारी शादी को 7 महीने ही हुए हैं। 3 माह का गर्भ है। शबनम को अलग वार्ड में रखा है। हम उसके पास जा भी नहीं पा रहे हैं। डॉक्टर ने कोरोना जांच के लिए सैंपल लिया या नहीं, इसकी भी जानकारी नहीं दी जा रही है। खबर लिखे जाने तक ऑपरेशन करने जैसी काेई बात नहीं बताई गई। डॉक्टर सिर्फ यही बोल रहे हैं कि कोरोना जांच रिपोर्ट आने के बाद ही इलाज करेंगे। दोपहर 3 बजे से अब तक मरीज असहनीय पीड़ा झेल रही है।   

इमरजेंसी केस में दूसरी किट का उपयोग करते हैं

संबंधित डॉक्टर से संपर्क करने की कोशिश की गई, लेकिन सफलता नहीं मिली। अस्पताल सूत्रों ने बताया कि इस  तरह की आपातकालीन स्थिति में बिना कोरोना रिपोर्ट के भी इलाज किया जाता है। कई सड़क दुर्घटनाओं के केस या अन्य केस में भी तुरंत ऑपरेशन या जरूरी इलाज किया जाता है। कोरोना सैंपल लेने के बाद  रिपोर्ट आने में 8 घंटे का समय लगता है। इमरजेंसी केस या अति आवश्यकता पड़ने पर अस्पताल में एक अलग टेस्टिंग किट होती है, जिसमें 2 घंटे में स्वैब की रिपोर्ट आ जाती है। 

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