बफर जोन में रहने वालों के घरों की तलाशी का आदेश रद्द करने की मांग, पाटील का आरोप-गरीबों जमीन बिल्डरों के हवाले

बफर जोन में रहने वालों के घरों की तलाशी का आदेश रद्द करने की मांग, पाटील का आरोप-गरीबों जमीन बिल्डरों के हवाले

Tejinder Singh
Update: 2019-06-28 15:56 GMT
बफर जोन में रहने वालों के घरों की तलाशी का आदेश रद्द करने की मांग, पाटील का आरोप-गरीबों जमीन बिल्डरों के हवाले

डिजिटल डेस्क, मुंबई। ताडोबा बाघ परियोजना के बफर जोन में रहने वाले 17 गावों के लोगों के घरों की तलाशी के वन विभाग के आदेश पर विधानसभा में विपक्ष के नेता विजय वडेट्टीवार के कड़ी आपत्ति जताई है। विधानसभा में यह मुद्दा उठाते हुए वडेट्टीवार ने कहा कि इस तरह का सरकारी फरमान स्वीकार नहीं किया जा सकता। सरकार को किसी की निजता में दखल देने का अधिकार नहीं है। यहां रहने वाले 20 हजार लोगों के अधिकारों का सम्मान किया जाना चाहिए। वडेट्टीवार ने कहा कि वन विभाग के आदेश में कहा गया है कि वनक्षेत्र के आसपास के सभी घरों की पूरी तलाशी ली जाए क्योंकि बरसात के मौसम में जंगली जानवरों का शिकार बढ़ जाता है। अगर ऐसा है तो दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए। लेकिन तलाशी के नाम पर आम लोगों के परेशान नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि आदेश में बाहरी लोगों के इलाके में आने पर पाबंदी की भी बात कही गई है तो क्या मॉनसून के दौरान 17 गावों में रहने वाले लोगों के घर मेहमान नहीं आ सकेंगे। मुनगंटीवार ने उपसंचालक (बफर) जी गुरूप्रसाद के हवाले दे जारी किए गए इस आदेश को तुरंत रद्द करने की मांग की। 

जयंत पाटील का आरोप सरकार ने गरीबों की जमीन की बिल्डरों के हवाले

वहीं सरकार पर जयंत पाटील के आरोपों का दौर जारी है। शुक्रवार को उन्होंने आरोप लगाया कि गरीबों की 2 हजार 808 हेक्टेयक जमीन सरकार ने बिल्डरों को देने की साजिश रची और आशंका जताई कि इसके जरिए 20 हजार करोड़ रुपए का घोटाला किया गया है। विधानसभा में राजस्व और नगर विकास विभाग की पूरकमांगों पर चर्चा के दौरान पाटील ने कहा मेरे पास इससे जुड़े सारे कागजात हैं जो मुख्यमंत्री को दूंगा। उन्होंने इस पूरे मामले की जांच कराए जाने की मांग की। इसके अलावा जयंत पाटील ने भाजपा विधायक राज पुरोहित पर राज्यपाल के पत्र का गलत इस्तेमाल कर बिल्डर को फायदा पहुंचाने का भी आरोप लगाया। पाटील ने कहा कि केंद्र सरकार ने 17 फरवरी 1976 को शहरी भूमि अधिग्रहण कानून लागू किया। इसका मकसद था कि जिन लोगों के पास ज्यादा जमीन है उनसे जमीन लेकर गरीब नागरिकों के लिए घर बनाए जाएं। कानून के मुताबिक मुंबई शहर में 500 स्क्वेयर मीटर और उपनगर में 1 हजार स्क्वेयर मीटर से ज्यादा जमीन जिसके पास थी उसे अतिरिक्त घोषित कर ले लिया जाता था। पाटील ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार ने 15 मई 2019 को ग्लैक्सो स्मिथ कलाईंट फार्मास्यूटिकल लिमिटेड की ठाणे के पांच पाखड़ी इलाके में स्थित 2 लाख 674 वर्ग मीटर जमीन को बेचने, हस्तांतरण में बदलाव और जमीन विकसित करने की इजाजत दे दी। सरकार ने निजी बिल्डरों को टावर बनाने की मंजूरी दे दी है जिससे गरीबों के घरों के सपने पर पानी फिर गया है। पाटील ने आरोप लगाया कि इसमें 20 हजार करोड़ रुपए का घोटाला हुआ है। पाटील ने आरोप लगाया कि लोकसभा चुनावों से पहले 16 नवंबर 2018 को मंत्रिमंडल के फैसले के बाद राज्य सरकार ने हजारों करोड़ रुपए की जमीन अलग-अलग उद्योगपतियों को नाममात्र की कीमत पर देना शुरू कर दिया।
 

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