नरवाई न जलाएं, पर्यावरण बचायें

नरवाई न जलाएं, पर्यावरण बचायें

Aditya Upadhyaya
Update: 2020-11-04 10:19 GMT
गड़चिरोली में जिला खनिज निधि का नहीं हो रहा कोई उपयाेग!

डिजिटल डेस्क, मण्डला। उपसंचालक कृषि ने बताया कि प्रदेश में धान एवं गेहूँ मुख्य फसल के रूप में ली जा रही है। उक्त फसलों की कटाई मुख्य रूप से कम्बाइंड हार्वेस्टर के माध्यम से की जाती है। कटाई के उपरांत फसलों की नरवाई में आग लगाने की घटनाओं में तेजी से वृद्धि हुई है। जिससे भूमि की उर्वरा शक्ति में कमी होती है साथ ही पर्यावरण भी गम्भीर रूप से प्रभावित होता है। सेटेलाईट मेपिंग में गतवर्ष धान एवं गेंहूँ की फसलों की कटाई के बाद मण्डला जिले में नरवाई जलाने की 125 घटनाएं घटी है। उन्होंने बताया कि फसलों की कटाई में उपयोग किये जाने वाले कंबाईन हार्वेस्टर के साथ स्ट्रा मैनेजमेण्ट सिस्टम (एसएमएस) के उपयोग को अनिवार्य किया जाना आवश्यक है। गेंहू की नरवाई से कृषक भूसा प्राप्त करना चाहते है। कृषकों की मांग को देखते हुए स्ट्रा मैनेजमेण्ट सिस्टम के स्थान पर स्ट्रा रीपर के उपयोग को अनिवार्य किया जाये। अर्थात् कम्बाईन हार्वेस्टर के साथ एसएमएस अथवा स्ट्रा रीपर में से कोई भी एक मशीन साथ में रहना अनिवार्य रहेगा। किसान कल्याण तथा कृषि विकास विभाग द्वारा राष्ट्रीय फसल अवशेष प्रबंधन नीति 2014 के अंतर्गत कलेक्टर महोदया की अध्यक्षता में जिला स्तरीय फसल अवशेष प्रबंधन समिति का गठन किया गया है।

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