30 साल बीते नहर से नहीं मिला बूंद भर पानी, रिकार्ड में सिंचित हो गई कृषि भूमि 

30 साल बीते नहर से नहीं मिला बूंद भर पानी, रिकार्ड में सिंचित हो गई कृषि भूमि 

Bhaskar Hindi
Update: 2017-08-30 15:29 GMT
30 साल बीते नहर से नहीं मिला बूंद भर पानी, रिकार्ड में सिंचित हो गई कृषि भूमि 

डिजिटल डेस्क, मंडला। जिले में मध्यम बांध मटियारी से कृषि भूमि को सिंचित करने के लिए नहरों का निर्माण किया गया है। पिछले तीस साल से मटियारी बांध की माईनर नहर क्रमांक 5 से करीब आधा दर्जन गांव की खेती को रिकार्ड में सिंचित कर दिया गया है। लेकिन किसानों के खेत में बूंद भर पानी नहीं पहुंचा है। जिससे किसान उत्पादन नहीं बढ़ा पा रहे है। इस साल कमजोर बारिश के कारण किसानों के खेत खाली पड़े है। जिससे यहां के किसानों ने नहर से पानी सप्लाई कराने की ठानी है। किसान इसके लिए शासन-प्रशासन के पास जाकर गुहार लगा रहे है। 

मटियारी बांध से बरगंवा, खगुआ, सुरजपुरा, कौसमघाट, गूडाअंजनिया समेत आसपास के गांव की कृषि भूमि सिंचित करने के लिए माइनर नहर का निर्माण 1995-96 में किया गया था। यहां किसानों ने बताया कि कार्य में तकनीकी लापरवाही की गई है। नहर के निर्माण में काली मिट्टी की फिलिंग, निर्माण एजेंसी ने कराई। जिसके कारण यहां तक पानी पहुंचने के साथ ही नहर क्षतिग्रस्त होने लगती है। नहर में पानी बहने के लिए बेस तैयार नहीं किया गया, जिससे पानी नहीं पहुंच रहा है। 

नहर निर्माण के बाद रिकार्ड में आधा दर्जन गांव की कृषि भूमि सिंचित हो गई। लेकिन खेत तक बूंद भर पानी नहीं पहुंचा। जिससे लाखों रूपए खर्च कर बनाई जा रही नहर औचित्यहीन है। खेतों में पानी नहीं मिलने से उत्पादन नहीं बढ़ा है। कृषक ने बताया है कि आधा दर्जन गांव में करीब 1 हजार एकड़ फसल को पानी नहीं मिल पा रहा है। विभाग हर साल नहर की मरम्मत के नाम पर रूपए बर्बाद कर रहा है, लेकिन उसका कोई फायदा नहीं है। 

नहीं लगे रोपा,खेत पड़े खाली

इस साल कमजोर बारिश के कारण खेतों में रोपा नहीं लग पाए है। किसानों ने नर्सरी तैयार कर ली, लेकिन खेत में रोपा लगाने के पानी नहीं था। जिससे रोपा नहीं लग पाया। यहां खेत खाली पड़े है। किसानों को कहना है कि विभाग की लापरवाही का खामियाजा किसान भुगत रहे है। खेती सिंचित होती तो किसान रोपा लगा सकते। सिंचाई का साधन नहीं होने से किसान लाचार है। 

सुनने वाला कोई नहीं

किसान ने बताया है कि हर साल प्रशासन को यहां के किसानों ने अपनी समस्या से अवगत कराया है।  2011 में तत्कालीन कलेक्टर ने यहां  मौके पर आकर निरीक्षण भी किया था लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ है। विभाग भी ध्यान नहीं दे रहा है। केंद्रीय मंत्री फग्गनसिंह कुलस्ते, राज्यसभा सांसद संपतिया उइके को भी समस्या बताई है। लेकिन किसी ने निराकरण कराने पहल नहीं की है। जिससे किसानों का भला नहीं हो पा रहा है।

अब आंदोलन की तैयारी

प्रशासन को किसानों ने फिर हालात बताए है। जिसमें विभागीय अधिकारी, सीएम हेल्पलाइन और जिला प्रशासन को अवगत करा दिया है। अब किसान आंदोलन की तैयारी कर रहे है। किसानों ने प्रशासन से कहा है कि 15 दिवस के अंदर उचित निराकरण नहीं हो पाता तो किसान आमरण अनशन करेंगे। किसान अपने हक की लड़ाई खुद लड़ेंगे। 

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