अब महाराष्ट्र में मिलेगा 'जेनरिक दवाओं' को बढ़ावा, डॉक्टरों पर होगी कार्रवाई

अब महाराष्ट्र में मिलेगा 'जेनरिक दवाओं' को बढ़ावा, डॉक्टरों पर होगी कार्रवाई

Tejinder Singh
Update: 2017-11-24 15:30 GMT
अब महाराष्ट्र में मिलेगा 'जेनरिक दवाओं' को बढ़ावा, डॉक्टरों पर होगी कार्रवाई

डिजिटल डेस्क, मुंबई। राजधानी मुबंई समेत पूरे महाराष्ट्र में मरीजों के इलाज के लिए डॉक्टरों को अब ब्रांडेड दवाओं के साथ-साथ अब जेनेरिक नाम भी लिखना अनिवार्य कर दिया गया है। महाराष्ट्र मेडिकल काउंसिल की तरफ से इस संबंध में निर्देश जारी किए गए हैं। सभी पंजीकृत मेडिकल प्रैक्टिशनर को दवाओं के जेनेरिक नाम पढ़ने योग्य और  कैपिटल लेटर में लिखना आवश्यक होगा।

महाराष्ट्र मेडिकल काउंसिल ने जारी किया निर्देश

महाराष्ट्र मेडिकल काउंसिल के प्रबंधक डॉ. दिलीप वांगे ने यह जानकारी दी। इसके लिए काउंसिल की तरफ से परिपत्र जारी किया गया है। परिपत्र में कहा गया है कि इसका उलंघन करने वाले डॉक्टरों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। गौरतलब है कि सरकार लंबे समय से जेनरिक दवाओं को लोकप्रिय बनाने की कोशिश कर रही है। लेकिन प्रैक्टिशनर डॉक्टर जेनरिक दवाएं लिखने से परहेज करते हैं। दरअसल ब्रांडेड दवाओं की तुलना में जेनरिक दवाएं काफी सस्ती होती हैं, लेकिन उनकी गुणवत्ता में कोई कमी नहीं होती। ब्रांडेड दवाओं को पेटेंट कराया जा सकता है। लेकिन जेनरिक दवाओं के साथ ऐसा नहीं हो सकता।

छत्तीसगढ़ में जेनरिक दवा के प्रति बढ़ा लोगों में विश्वास

उधर महाराष्ट्र के ही पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ में जेनरिक दवा के प्रति लोगों में विश्वास बना है। लोग जेनरिक दवा से इलाज कराने लगे हैं। पिछले साल जहां 19 लाख दवाओं की ब्रिकी हुई थी। वहीं इस साल तकरीबन 32 लाख दवाओं की बिक्री हो चुकी है। इसकी प्रमुख वजह है जिला अस्पताल की रेडक्रास की दुकान में 1500 से अधिक जेनरिक दवाइयां बेची जा रही हैं। जब्कि इसी कटेगरी की दवाएं बाजार में तीन गुना से ज्यादा मंहगे दामों पर मिल रही है। जेनरिक दवा की खपत बढ़ने की एक बड़ी वजह यह मानी जा रही है कि अब सरकारी अस्पतालों में डाक्टर जेनरिक दवा ही लिख रहे हैं। यह दवा कारगर साबित हो रही है। 

 

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