चुनावी तैयारी : राज्य में 6000 दलित बाहुल्य बस्तियों पर भाजपा की नजर, शुरु होगा जनसंपर्क अभियान

चुनावी तैयारी : राज्य में 6000 दलित बाहुल्य बस्तियों पर भाजपा की नजर, शुरु होगा जनसंपर्क अभियान

Tejinder Singh
Update: 2019-01-03 14:08 GMT
चुनावी तैयारी : राज्य में 6000 दलित बाहुल्य बस्तियों पर भाजपा की नजर, शुरु होगा जनसंपर्क अभियान

डिजिटल डेस्क, नागपुर। लोकसभा चुनाव की तैयारी कर रही भाजपा ने महाराष्ट्र में कई तरीके से मतदाताओं को जोड़ने की व्यापक योजना बनाई है।योजना के तहत वह दलित वर्ग के मतदाताओं तक विशेष जनसंपर्क अभियान के साथ पहुंचने वाली है। दरअसल पार्टी ने राज्य में 6000 ऐसी बस्तियां चिन्हित की है, जहां दलित वर्ग के नागरिकों की संख्या अधिक है। इन बस्तियों के मत चुनाव परिणाम को प्रभावित करने में काफी मायने रखते है। लिहाजा प्रयास किया जा रहा है कि चुनाव के पहले इन बस्तियों में जाकर भाजपा की छवि को लेकर चर्चा की जाए। 19 व 20 जनवरी को नागपुर में भाजपा अनुसूचित जाति मोर्चा का राष्ट्रीय अधिवेशन होने वाला है। अधिवेशन के समापन के मौके पर भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की जनसभा होने वाली है। जनसभा का मुख्य फोकस विदर्भ उसमें भी पूर्व विदर्भ में रहने वाला है, लेकिन इसी सभा के माध्यम से राज्य भर में दलित बाहुल्य क्षेत्रों में जनसंपर्क बढ़ाया जाएगा। लिहाजा अधिवेशन को लेकर प्रदेश स्तर पर भी बैठकों का दौर चल रहा है।

बुधवार को मुंबई के दादर स्थित पार्टी कार्यालय में अनुसूचित जाति मोर्चा की प्रदेश स्तरीय बैठक हुई। इससे पहले नागपुर में ही दो बार नियोजन बैठक हो चुकी है। भाजपा के एक वरिष्ठ पदाधिकारी के अनुसार राज्य में दलित, आदिवासियों की मतदाता संख्या लगातार बढ़ रही है। विदर्भ व मराठवाड़ा की ही बात की जाए तो विदर्भ में 20 प्रतिशत व मराठवाड़ा में 23 प्रतिशत मतदाता दलित समुदाय से है। मत विभाजन की रणनीति का प्रभाव नहीं पड़ने पर अक्सर दलित बहुल क्षेत्र में चुनाव में कांग्रेस बढ़त पाती है। 1998 के लोकसभा चुनाव का हवाला देते हुए भाजपा पदाधिकारी का कहना है कि दलित मतदाताओं की संख्या काे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।

उस दौरान एक बार कांग्रेस से गठबंधन कर आरपीआई नेताओं ने चुनाव लड़ा था। आरपीआई के तत्कालीन सभी प्रमुख नेता मसलन प्रकाश आंबेडकर,रामदास आठवले, रा.सु गवई व जोगेंद्र कवाड़े लोकसभा के लिए चुने गए थे। यह उस दौर की बात है जब अटलबिहारी वाजपेयी ने 13 माह की केंद्र सरकार का नेतृत्व किया था। अगले चुनाव में आरपीआई के साथ कांग्रेस का गठबंधन नहीं हुआ। सारे आरपीआई नेता लोकसभा में पराजित हुए लेकिन राज्य की 65 विधानसभा सीटाें पर आरपीआई को सबसे अधिक मत मिले थे। उस दौरान लोकसभा के लिए एकीकृत आरपीआई के 11 उम्मीदवार मैदान में थे। तमाम स्थितियों को देखते हुए भाजपा दलित बहुल बस्तियों में अपना प्रभाव बढ़ाने का प्रयास कर रही है।

हुई बैठक
गुरुवार को मुंबई के दादर क्षेत्र के भाजपा कार्यालय में प्रदेश स्तरीय बैठक में नागपुर के अधिवेशन की तैयारी के संबंध में चर्चा हुई। बैठक में भाजपा के प्रदेश संगठन मंत्री विजय पुराणिक, सामाजिक न्यायमंत्री राजकुमार बडोले, विधायक भाई गिरकर, एससी सेल के प्रदेश अध्यक्ष सुभाष पारधी, नागपुर महानगर अध्यक्ष धर्मपाल मेश्राम उपस्थित थे। खानदेश, मराठवाड़ा, कोंकण व मुंबई विभाग के पदाधिकारियों को भी नागपुर की सभा के लिए भीड़ जुटाने का टारगेट दिया गया है। 

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