परीक्षा में गड़बड़ी - न्यू पैटर्न के छात्रों को दे दिया ओल्ड पैटर्न का प्रश्न-पत्र 

मेडिकल यूनिवर्सिटी में एमबीबीएस के एग्जाम में सामने आई लापरवाही  परीक्षा में गड़बड़ी - न्यू पैटर्न के छात्रों को दे दिया ओल्ड पैटर्न का प्रश्न-पत्र 

Bhaskar Hindi
Update: 2021-10-23 08:44 GMT
परीक्षा में गड़बड़ी - न्यू पैटर्न के छात्रों को दे दिया ओल्ड पैटर्न का प्रश्न-पत्र 

डिजिटल डेस्क जबलपुर । मप्र मेडिकल यूनिवर्सिटी में एमबीबीएस की परीक्षा को लेकर बड़ी लापरवाही सामने आई है। गुरुवार 21 अक्टूबर को एमबीबीएस (फस्र्ट प्रोफेशनल सप्लीमेंट्री) फीजियोलॉजी का पहला पेपर पूरे प्रदेश में एक साथ हुआ, जिससें ओल्ड पैटर्न के साथ न्यू पैटर्न के स्टूडेंट्स भी शामिल हुए। दोनों ही पैटर्न के लिए अलग-अलग पेपर सैट किए गए थे, जिसमें ओल्ड पैटर्न के लिए 50 और न्यू पैटर्न के लिए 100 अंकों का पेपर था। दोनों ही सैट में प्रश्न भी अलग-अलग थे लेकिन गड़बड़ी तब सामने आई जब इंदौर रीजन में न्यू पैटर्न के स्टूडेंट्स को भी ओल्ड पैटर्न  का प्रश्न-पत्र मिला, जबकि जबलपुर रीजन में दोनों ही पैटर्न के अलग-अलग सैट स्टूडेंट्स को मिले। लापरवाही उजागर होने के बाद स्टूडेंट्स असमंजस में हैं कि कॉपियाँ कैसे चैक होंगी और अंक किस आधार पर दिए जाएँगे। सूत्रों के अनुसार गड़बड़ी की बड़ी वजह पेपर का समय पर अपलोड न होना था, जिसके चलते जो पेपर पहले आया, उसे ही सभी स्टूडेंट्स को बाँट दिया गया। वहीं एक सैट में ओल्ड पैटर्न के बारे में बताया गया, जबकि नए पैटर्न में इसकी जानकारी नहीं थी, जिसके चलते भ्रम की स्थिति बनी। इस मामले में अब कॉलेजों में केंद्राध्यक्षों से जवाब माँगने की तैयारी की जा रही है। 
व्यापमं के समान घोटाला
अधिवक्ता आदित्य संघी और अपूर्वा कोष्टा ने कहा कि मेडिकल यूनिवर्सिटी में व्यापमं के समान घोटाला हुआ है। यूनिवर्सिटी से छात्रों की परीक्षा का डाटा डिलीट हो चुका है। ऐसे में छात्रों का भविष्य दाँव पर लग गया है। इस मामले की सीबीआई या हाईकोर्ट जज से जाँच कराई जानी चाहिए, ताकि छात्रों को न्याय मिल सके। 
पूर्व में जारी हो चुके हैं आदेश
सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि मेडिकल यूनिवर्सिटी में घोटाले को लेकर तीन जनहित याचिकाएँ विचाराधीन हैं। उन मामलों में जाँच को लेकर आदेश भी पारित किया गया है। सुनवाई के बाद डिवीजन बैंच ने मेडिकल यूनिवर्सिटी की घोटाले की जाँच को लेकर पूर्व में हुए आदेशों की जानकारी प्रस्तुत करने को कहा है। 
 

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