आस्था : भगवान शिव का हर रूप बताता है जीवन जीने का सूत्र

आस्था : भगवान शिव का हर रूप बताता है जीवन जीने का सूत्र

Tejinder Singh
Update: 2021-03-11 09:38 GMT
आस्था : भगवान शिव का हर रूप बताता है जीवन जीने का सूत्र

डिजिटल डेस्क, नागपुर। भगवान शिव शंकर को सृष्टि का पहला गुरु माना गया है। देवगुरु बृहस्पति और दैत्य गुरु शुक्राचार्य के भी गुरु भगवान शिव हैं। शिव के कई स्वरूप हैं और हर स्वरूप अपने आप में पूर्ण है। शिव को प्रथम अघोर भी कहा गया है। अघोर का अर्थ है जो घोर नहीं है, यानी जो किसी में भेदभाव नहीं करता, जो कभी किसी असमान व्यवहार नहीं करता, जिसके लिए सारी समान है, जो सारे अच्छे-बुरे भावों से मुक्त है।
शिव सिखाते हैं कि संसार में इंसान को अघोर होना चाहिए, तभी मोक्ष संभव है।

घोर या भेदभाव, भला-बुरा, मेरा-तेरा का भाव आते ही वो मोक्ष के मार्ग से भटक जाता है। शिव के आठ स्वरूपों से कुछ न कुछ सीख कर हम अपने जीवन में उतार सकते हैं। संसार को ज्ञान की पहली किरण दिखाने वाले भगवान महाकाल ने अपने को दुनिया में रहकर दुनिया से अलग रहना सिखाया है।

 

नटराज

(शिव का तांडव स्वरूप)
जीवन में गंभीरता आवश्यक है, लेकिन उतना ही आवश्यक है जीवन में कला का होना। इससे ही जीवन का संतुलन है।

 भोलेभंडारी
(शिव का सहज स्वरूप)
हमेशा भेद-भाव से रहित रहिए। भेदभाव मन में विकार और जीवन में असंतुलन पैदा करता है। हमेशा सहज-सुलभ रहें।


पार्वतीनाथ
(पार्वती के स्वामी शिव)
परिवार में प्रेम और दाम्पत्य में आपसी सम्मान आवश्यक है। इसके िबना परिवार एक नहीं रह सकता है।

 श्मशानवासी
(शिव का  अघोर स्वरूप)
 मृत्यु अटल है, सत्य है। इसे स्वीकार करो। हर काम ऐसे करो, जैसे कल मृत्यु से मुलाकात होने वाली है।
  
 त्रिशूलधारी
(शिव का शस्त्र त्रिशूल है)
जन्म, जीवन और मृत्यु तीनों शूल (कांटे) की तरह दु:खदायी है, लेकिन आप अपने कर्मों से इन्हें अपना हथियार बना सकते हैं।
 
नीलकंठ
(जिनका कंठ विष के कारण नीला है।)
 बुराई को एक जगह रोक लो। न खुद में समाने दो और न समाज में फैलने दो।

कैलाशवासी

( कैलाश पर्वत पर निवास)
अपने सिद्धांत, धर्म और कर्तव्य को हमेशा ऊंचा रखें। इन्हें सम्मान िदया तो आपका सम्मान भी कैलाश की तरह ऊंचा होगा।


अर्द्धनारीश्वर
(आधा स्त्री-पुरुष स्वरूप)
परिवार, समाज और राष्ट्र, तीनों में ही स्त्री-पुरुष का समान महत्व है। दोनों मिलकर एक सृष्टि हैं। अलग-अलग नहीं।

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