मदद की प्रतीक्षा में किसान, अतिवृष्टि से हुए नुकसान को झेला, दोबारा खेती शुरु

रबी फसल की बुवाई प्रारम्भ मदद की प्रतीक्षा में किसान, अतिवृष्टि से हुए नुकसान को झेला, दोबारा खेती शुरु

Tejinder Singh
Update: 2022-11-18 12:29 GMT
मदद की प्रतीक्षा में किसान, अतिवृष्टि से हुए नुकसान को झेला, दोबारा खेती शुरु

डिजिटल डेस्क, तेल्हारा/ हिवरखेड़. तेल्हारा तहसील में खरीफ मौसम की फसलों से किसानों ने हाथ धो लिया है और इन फसलों के लिए निकाले गए बीमे की राशि में अब मिलने की आशा किसानों को कम ही नजर आ रही है। प्रशासन का काम अपने हिसाब से चलता है परंतु मौसम के अनुसार ही किसानों को अपने खेती के कार्य निपटाने पड़ते है। इसके चलते नवंबर से किसानों ने अपने खेतों में मशक्कत के बाद चना, गेहूं और प्याज फसल की बुवाई प्रारम्भ कर दी है। पहले मौसम की मार से फसलों के बर्बाद होने से किसान परेशान था उसपर मदद के नाम पर केवल आश्वासन ही मिल रहे है। इसके बाद तहसील के हिवरखेड़, दानापुर, हिंगणी, तलेगांव, खंडाला, झरी, चिचारी और अन्य गावों के किसानों ने अपने खेतो में चना, गेहूं और अन्य रबी फसलों की बुवाई शुरु कर दी है। तेल्हारा तहसील में इस वर्ष बारिश के कारण रबी मौसम की फसल में किसानों ने गेहूं. चना, प्याज आदि की बुवाई को देर से शुरुवात की। खेती की मशक्कत के लिए पहले खेत को लगातार दीपावली तक बरसी बारिश के कारण खेतो ंमें उग आई घांस की कटाई के साथ ही कई दिक्कतों का सामना करना पड़ा। इस कारण खेत की मशक्कत का खर्च भी बढ़ गया। पहले ही किसानों को फसल की बर्बादी की मार झेलनी पडी उसके बाद भी कहीं से कोई सहायता नहीं मिली। फिर भी कहीं से कर्ज लेकर किसानों ने रबी फसलों की बुवाई प्रारम्भ की। इस वर्ष मूंग, कपास, उड़द आदि फसलों पर पहले पानी की मार और उसके बाद कीटों ने बची फसलों को नुकसान पहुंचाया। इस कारण तहसील के अनेक किसानों ने अपनी फसलों पर ट्रैक्टर घूमा दिया और रबी की तैयारी कर फसल की बुवाई शुरु कर दी। परंतु अभी भी किसानों को कई दिक्कतो का सामना करना पड़ रहा है। इसमें पहले बीजों के लिए आर्थिक बजट देखकर बुवाई करने के बाद खेतों में बिजों के अंकुरण के बाद परेशान करने वाले जंगली जानवरों से अपनी फसलों को बचाने की मशक्कत किसानों को करनी पड़ी रही है। प्रकृति के साथ ही जंगली जानवर सभी की ओर से किसानों को अपने खेतों की फसलों की रक्षा के लिए दिन रात दौड़ना पड़ रहा है। कपास की फसल पर लाल्या का अटैक होने से एक या दो बार कपास चुनने के बाद फसल पूरी तरह से बेकार हो गई है। खर्च की किसी भी प्रकार का तालमेल नहीं लग रहा है परंतु किसानों को तो समय पर ही खेतों में फसलों की बुवाई करनी पड़ती है। इस परेशानी को देखते हुए शासन को जल्द से जल्द सहायता करने की आशा किसान कर रहे है। साथ ही अपनी आनेवाली रबी मौसम की फसलों की तैयारी में लग गए है। 
 

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