खेती के लिए बना वरदान : सूखा-बाढ़ में साथ देगा क्वालिटी प्लाटिंग, ड्रिप सिंचाई, सोलराइजेशन ट्रीटमेंट

खेती के लिए बना वरदान : सूखा-बाढ़ में साथ देगा क्वालिटी प्लाटिंग, ड्रिप सिंचाई, सोलराइजेशन ट्रीटमेंट

Anita Peddulwar
Update: 2018-08-30 08:48 GMT
खेती के लिए बना वरदान : सूखा-बाढ़ में साथ देगा क्वालिटी प्लाटिंग, ड्रिप सिंचाई, सोलराइजेशन ट्रीटमेंट

डिजिटल डेस्क, नागपुर। हाई डेंसिटी प्लांटिग, क्वालिटी प्लांटिग, माइक्रो इरिगेशन, मैकेनिकल प्रूनिंग, वर्टिकल खेती, ड्रिप सिंचाई, सोलराइजेशन ट्रीटमेंट की मदद ले रहे हैं किसान। इसके लिए वे भारत-इजरायल उत्कृष्ट केंद्र की मदद ले रहे हैं। कभी सूखे तो कभी बाढ़ और कभी हैवी रेन फॉल से खेत के खेत बर्बाद हो जाते हैं। इन सभी समस्याओं से बचने के लिए इंडाे-इजरायल प्रकल्प बनाया गया है, जिससे खेती से जुड़ी कई समस्याओं को खत्म किया जा सके।

अब इसी इजरायली तकनीक से नागपुर में किसानों को न केवल सीट्रस फ्रुटस उगाने की नई दिशा दी है, बल्कि पैदावार में बढ़ोतरी का  मौका दिया है। वर्टिकल खेती, ड्रिप सिंचाई, सोलराइजेशन ट्रीटमेंट से रूबरू हो किसान भारत-इजरायल उत्कृष्ट केंद्र की मदद ले रहे हैं। इजरायली खेती के कौशल को अपनाया और कुछ महीने के भीतर ही उत्पादन में उन्हें चौंकाने वाला पांच गुना तक का इजाफा देखने को मिला। 

4 महत्वपूर्ण तथ्य, जिससे किसान खुश हैं
* नागपुर, अमरावती के किसान इजरायल की तकनीक को अपना रहे हैं।  
* पिछले वर्षों में डॉ. पंजाबराव देशमुख कृषि महाविद्यालय में सीडलेस ऑरेंज उगाया जा रहा है। इसके लिए मॉडल नर्सरी तैयार की गई है।
* पैदावार बढ़ाने और जल संरक्षण के लिए आधुनिक माइक्रो सिंचाई पद्धति और सिंचाई के साथ खाद सही इस्तेमाल का तरीका अपनाने के बारे में इजरायल ने दुनिया को बताया। यह संरक्षित खेती है, जो प्रतिकूल     मौसम में भी पैदावार बढ़ाता है और कीटनाशकों के इस्तेमाल को कम करता है। 
* जलनिकासी पर नियंत्रण, पौधों के संरक्षण, नए रूटस्टॉक के इस्तेमाल से उद्यान संबंधित फसलों में बढ़ोतरी और विस्तार करना भी इजरायल की देन है। इस तकनीक का इस्तेमाल सेंटर ऑफ एंक्सिलेंस इंडो इजरायल प्रकल्प कृषि विश्वविद्यालय में हो रहा है। 

प्रोडक्टिविटी बढ़ाते हैं, डिसिज मैनेजमेंट सिखाते हैं
सेंटर ऑफ एक्सिलेंस में हम प्रोडक्टिविटी और डिसिज मैनेजमेंट भी बताते हैं। वर्टिकल खेती, ड्रिप सिंचाई के बारे में बताते हैं, ताकि इससे किसानों को फायदा हो सके। हर वर्ष में एक बार इजरायल के कृषि विज्ञानी आते हैं और विजिट करते हैं। इस तकनीक से 20 से 25 प्रतिशत प्रोडक्टिविटी बढ़ी है। मॉडर्न नर्सरी में पौधे तैयार होते हैं। हमने इटली से मैकेनिकल प्रूनिंग मशीन भी मंगवाई है, ताकि इससे पेड़ों की छंटाई में मदद मिल सके। क्वालिटी प्लाटिंग मटेरियल तैयार करते हैं, सोलराइजेशन ट्रीटमेंट हो रहा है।
डॉ. आर.पी. गजभिए, प्रोफेसर एंड हेड हार्टीकल्चर 

तकनीक का फायदा मिला
मैं इंडो-इजरायल परियोजना सेंटर एक्सिलेंस फॉर सीट्रस फ्रुट पहुंचा और मुझे वहां इजरायल की कृषि तकनीक, कम लागत वाली ड्रिप सिंचाई की व्यवस्था और रोगमुक्त पौधे और बेड वाली खेती बनाने के बारे में जानकारी मिली। आज मैं बेड वाली खेती कर रहा हूं, जिससे बरसात का पानी नहीं भरता है और आज पैदावार चार गुना बढ़ गई है। डिस्टेंस स्कीम का फायदा मिला, इससे पौधे तेजी से बढ़ते हैं। 
(शेख बिलाल, पुसद, किसान) 

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