कोरोना का डर इतना कि हल्के लक्षण वाले संदिग्ध भी करा लेते हैं सीटी स्कैन - इस तरह हो रही जिले की सैंपलिंग 

कोरोना का डर इतना कि हल्के लक्षण वाले संदिग्ध भी करा लेते हैं सीटी स्कैन - इस तरह हो रही जिले की सैंपलिंग 

Bhaskar Hindi
Update: 2021-05-07 13:30 GMT
कोरोना का डर इतना कि हल्के लक्षण वाले संदिग्ध भी करा लेते हैं सीटी स्कैन - इस तरह हो रही जिले की सैंपलिंग 

 डिजिटल डेस्क जबलपुर । जबलपुर जिले में कोरोना मरीजों के सैंपल्स की जाँच आईसीएमआर, मेडिकल कॉलेज की वायरोलॉजी लैब और पुणे की एक लैब में हो रही है। जो सैंपल पुणे भेजे जा रहे हैं, उनकी रिपोर्ट आने में लम्बा वक्त लगता है, इसी के चलते व्यक्ति सीटी स्कैन जैसे विकल्पों की ओर रुख करता है। इस समय जिले में प्रतिदिन 5000 कोरोना टेस्ट का लक्ष्य दिया गया है, जिसकी तुलना में 4200 तक जाँच हो पा रही है। 
बाद में बिगड़ता है स्वास्थ्य 
 विशेषज्ञ चिकित्सक डॉ. शैलेंद्र सिंह राजपूत कहते हैं कि कोरोना के लक्षण दिखते ही कोरोना जाँच प्राथमिकता से करानी चाहिए और रिपोर्ट पॉजिटिव आने पर ट्रीटमेंट लेना चाहिए। कोरोना संक्रमित होने पर फेफड़ों में संक्रमण पहुँचने में 5 से 6 दिन लगते हैं। शुरुआत में ही सीटी स्कैन करा लेना सही नहीं है, ऐसे में मरीज वास्तविक स्थिति से अवगत नहीं हो पाता। शुरुआत में फेफड़ों में संक्रमण नहीं नजर आता और व्यक्ति घर में आइसोलेट हो जाता है, बाद में स्थिति खराब हो जाती है। ऑक्सीजन का स्तर कम होने और श्वास संबंधी समस्या होने पर सीटी स्कैन कराना चाहिए।
विभिन्न जिलों से मेडिकल आते हैं सैंपल्स 
 सूत्रों के अनुसार मेडिकल कॉलेज की वायरोलॉजी लैब में संभाग के विभिन्न जिलों से सैंपल्स आते हैं। लैब की कैपेसिटी 1200 से 1300 सैंपल्स प्रतिदिन जाँच की है। प्रशासन द्वारा लैब की कैपेसिटी बढ़ाने का लगातार प्रयास किया जा रहा है, ताकि जल्द रिपोर्ट मिल सके। 
हर सेंटर पर 80 से 100 सीटी स्कैन रोज 
 शहर में करीब 6 से 7 निजी लैब और 10 से अधिक अस्पतालों में सिटी स्कैन हो रहा है। जानकार बताते हैं कि आम दिनों में जहाँ 10 से 12 सीटी स्कैन होते थे, वहीं वर्तमान में सभी जगह 80 से 100 सीटी स्कैन हो रहे हैं। 
 

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