प्राणी संग्रहालय के संरक्षित जंगल में आग, काबू करने में 5 घंटे लगे

गोरेवाड़ा प्राणी संग्रहालय के संरक्षित जंगल में आग, काबू करने में 5 घंटे लगे

Tejinder Singh
Update: 2022-05-23 11:47 GMT
प्राणी संग्रहालय के संरक्षित जंगल में आग, काबू करने में 5 घंटे लगे

डिजिटल डेस्क, नागपुर। गोरेवाड़ा के बालासाहब ठाकरे अंतरराष्ट्रीय प्राणी संग्रहालय के संरक्षित जंगल में आग ने तांडव मचाया। दोपहर 12.30 बजे के दौरान लावा और दाभा गांव की दिशा से लगी आग ने देखते ही देखते जंगल में फैल गई। पांच घंटे की मशक्कत के बाद आग नियंत्रण में आई। आग के कारण 100 से 150 हेक्टेयर जंगल को नुकसान पहुंचा है। वन विभाग ने दावा किया है कि वन्य पशु पूरी तरह सुरक्षित हैं।  गोरेवाड़ा यूनिट-2 में लगी आग हवा के कारण तेजी से फैली। वन विभाग को जानकारी मिलने पर अग्निशमन विभाग काे सूचना दी गई। पहले सिविल लाइंस स्टेशन से 2 गाड़ियां घटना स्थल पहुंचीं। आग की तीव्रता देख सुगत नगर से 2 और कॉटन मार्केट से 3 गाड़ियां रवाना की गईं। गंजीपेठ से पानी के चार टैंकर भी वहां पहुंचे। अग्निशमन दल के साथ गोरेवाड़ा प्रकल्प के 150 से अधिक वन अधिकारी व कर्मचारियों ने अग्निशन प्रतिबंधक सामग्री के साथ आग को नियंत्रण में करने का प्रयास किया। 5 घंटे के बाद आग नियंत्रण में आई।

रविवार का अवकाश रहने के कारण पर्यटकों की प्राणी संग्रहालय में भीड़ रहती है। गोरेवाड़ा संरक्षित जंगल में आग लगने से प्राणी संग्रहालय में इंडियन सफारी बंद रखी गई। सुबह के प्रहर में जंगल सफारी पर गए पर्यटकों को भी बाहर निकाला गया। सफारी मार्ग में आग पहुंचने की आशंका के चलते सफारी बंद रखी जाने से पर्यटकों को वापस लौटना पड़ा।

रिपोर्टिंग करने गए पत्रकारों को गाड़ी से कुचलने की धमकी
गोरेवाड़ा प्राणी संग्रहालय में आग की रिपोर्टिंग करने से वन विभाग के अधिकारियों ने रोकने का प्रयास किया। घटना स्थल की फोटो खींचने व वीडियो रिकार्डिंग करते देख वन अधिकारी पत्रकारों से उलझ गए। घटना की जानकारी मांगने पर देने से मना किया गया। उन्हें गाड़ी से कुचलने की धमकी दी गई। जिन पत्रकारों को धमकाया गया, उन्होंने मुख्यमंत्री और वन मंत्री से शिकायत करने की चेतावनी दी।

आग का कारण पता नहीं

शतानिक भागवत, विभागीय प्रबंधक, गोरेवाड़ा प्रकल्प के मुताबिक गोरेवाड़ा जंगल की सुरक्षा दीवार के बाहर गांव की दिशा में आग लगने का प्राथमिक अनुमान है। हवा के कारण आग जंगल तक पहुंची और देखते ही देखते 100 से 150 हेक्टेयर जंगल को अपने आगोश में ले लिया। आग किसने लगाई, यह कहना मुश्किल है। इस घटना से वनसंपदा का भारी नुकसान हुआ, लेकिन वन्यप्रणियों को नुकसान नहीं पहुंचा।


 

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