ग्लाेबल वॉर्मिंग और क्लाइमेट चेंज का दुनिया पर हो रहा असर, नागपुर में युवा कर रहे जनजागरण

ग्लाेबल वॉर्मिंग और क्लाइमेट चेंज का दुनिया पर हो रहा असर, नागपुर में युवा कर रहे जनजागरण

Anita Peddulwar
Update: 2019-10-05 12:08 GMT
ग्लाेबल वॉर्मिंग और क्लाइमेट चेंज का दुनिया पर हो रहा असर, नागपुर में युवा कर रहे जनजागरण

डिजिटल डेस्क, नागपुर। ग्लाेबल वॉर्मिंग और क्लाइमेट चेंज के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ाने के लिए शहर की पर्यावरण संस्थाएं और युवाओं के समूह मिलकर काम कर रहे हैं। इस पहल के तहत ‘फ्राइडे फॉर फ्यूचर’ के बैनर तले सप्ताह में हर शुक्रवार को इस मुद्दे पर जनजागृति करने का फैसला किया गया है। इसके तहत पिछले शुक्रवार को बड़ी संख्या में युवा फुटाला पर एकत्र होकर लोगों को पर्यावरण के विभिन्न मुद्दों पर जागरूक करने का प्रयास किए। इस पहल में अग्रणी रूप से जुड़े डॉ. अभीक घोष का कहना है कि जिन खतरनाक स्थितियों को आज से 100 वर्ष बाद की बात समझी जा रही थी, वे तेजी से आगे बढ़ रही हैं। क्लामेट चंेज का असर पूरी दुनिया पर दिख रहा है। हर मौसम में एक्स्ट्रीम असर दिखाई दे रहा है। ऐसे में इस पर गंभीरता से काम और विचार करने की जरूरत है। इसी संदर्भ में पर्यावरण पर काम कर रही सभी संस्थाएं व युवाओं को एकजुट करने और जन-जन तक इसकी गंभीरता को पहुंचाने के लिए यह पहल की गई है। 

सोशल मीडिया बनी ताकत
मुहिम से जुड़े युवाओं का मानना है कि आज सोशल मीडिया के कारण लोगों को किसी मुहिम से जोड़ना आसान हो गया है। शहर में कोई भी कार्यक्रम करना हो या संदेश पहुंचना हो, तो सोशल मीडिया काफी आसान हो गया है। डॉ. घोष के अनुसार आज के दौर में सोशल मीडिया लोगों तक संदेश पहुंचाने का सशक्त माध्यम है। कुछ दिन पहले तक शहर के कम ही लोग भारत वन मुहिम के बारे में जानते थे, लेकिन अब काफी ज्यादा लोगों तक इसकी जानकारी पहुंच चुकी है और लोग इससे जुड़े भी हैं। यही नहीं, नागपुर से बाहर भी होने वाली पर्यावरण संबंधी मुद्दों की जानकारी लोगों को रहती है। जानकारी ही जागरूक करने का सबसे बड़ा माध्यम है। 

बड़ी संख्या में जुड़े हैं युवा
डॉ. घोष के अनुसार अब यह मुद्दा युवाओं तक पहुंच चुका है। बड़ी संख्या में कॉलेज व स्कूलों के छात्र व छात्राएं मुहिम में शामिल होते हैं। वे अपनी-अपनी तरह से उसमें योगदान देते हैं। जिन्हें संगीत में रुचि है वे उसके जरिए संदेश देते हैं, अभिनय में रुचि रखने वाले नुक्कड़ नाटक करते हैं, चित्रकारी में रुचि रखने वाले पोस्टर तैयार करते हैं। आज के युवा अगर इस समस्या के प्रति संवेदनशील हो जाते हैं, तो भविष्य के लिए यह सबसे बेहतर पहल होगी।

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