गाेंगपा तय नहीं कर पाया रणनीति , फारवर्ड ब्लाक दर्शक बने रहने को विवश , आरपीआई के गुट साथ नहीं आए

गाेंगपा तय नहीं कर पाया रणनीति , फारवर्ड ब्लाक दर्शक बने रहने को विवश , आरपीआई के गुट साथ नहीं आए

Anita Peddulwar
Update: 2019-10-01 08:34 GMT
गड़चिरोली में जिला खनिज निधि का नहीं हो रहा कोई उपयाेग!

डिजिटल डेस्क, नागपुर। प्रमुख दलों की सीट साझेदारी तय नहीं होने का परिणाम उन दलों पर भी पड़ा है, जो विविध चुनावों में चर्चा में रहे हैं। स्थिति यह है कि ये दल किसी को समर्थन देने लेने की स्थिति में भी नहीं पहुंच पाए हैं। लिहाजा साफ संकेत है  कि चुनाव में इन दलों की स्थिति दर्शक की ही बनी रह सकती है। गोंडवाना गणतंत्र पार्टी (गोंगपा)का मुख्य प्रभाव मध्यप्रदेश व छत्तीसगढ़ के कुछ क्षेत्रों में रहा है। 

पूर्व विदर्भ में भी गोंगपा ने पिछले चुनावों में अपनी उपस्थिति का एहसास कराया है। नागपुर जिले में रामटेक के अलावा गड़चिरोली जिले के सिंरोचा जैसे क्षेत्रों में गोंगपा के प्रभाव को चुनाव में देखा गया है। स्थानीय निकाय संस्था के चुनावों में भी प्रभाव रहा है। आदिवासियों के विकास के मुद्दे को लेकर चर्चा में रहने वाली गोंगपा ने इस बार विधानसभा की 25 से 30 सीटों पर चुनाव लड़ने का निर्णय तो लिया है, लेकिन नामांकन दर्ज कराने के 3 दिन पहले तक एक भी उम्मीदवार तय नहीं किए है। गोंगपा को गठबंधन के लिए प्रमुख दल का इंतजार है। पार्टी ने जिन सीटों पर ध्यान रखा है उनमें गड़चिरोली, आरमाेरी, सिंरोचा, चंद्रपुर, राजुरा, बल्लारपुर ,मूल, यवतमाल, रालेगांव, आर्णी सीट शामिल है। 

संगठन को पुनर्जीवित करने की आवश्यकता

फारवर्ड ब्लाक के प्रदेश अध्यक्ष श्रीकांत तराल कहते हैं कि संगठन को पुनर्जीवित करने की आवश्यकता है। सरकार की नीतियों के विरोध में अभियान चलाकर संगठन का जनाधार बढ़ाया जाएगा। फिलहाल 20 से 25 सीटों पर संगठन सक्रिय रहेगा। आरपीआई के विविध गुटों की स्थिति भी लगभग ऐसी ही है। पीपल्स रिपब्लिकन पार्टी के अध्यक्ष प्रा.जोगेंद्र कवाड़े कांग्रेस की ओर से चर्चा के आमंत्रण का इंतजार करते रह गए। फिलहाल वे मुंबई में हैं। भाजपा के साथ राजग में शामिल रामदास आठवले की आरपीआई की भी दुविधा दूर नहीं हो पाई है। आठवले ने गठबंधन के तहत राज्य में 10 सीटें मांगी हैं। पूर्व विदर्भ में सीट उत्तर नागपुर, अर्जुनी मोरगांव के अलावा पश्चिम विदर्भ में मेहकर व उमरखेड पर दावा किया है। बहुजन रिपब्लिकर सोशलिस्ट पार्टी भी कहीं नजर नहीं आ रही है। नागपुर से लोकसभा चुनाव लड़ चुके बीआरएसपी के अध्यक्ष सुरेश माने चुनाव के दौरान कार्यकर्ताओं से मिलने तक नहीं पहुंचे। अन्य दलों के असंतुष्टाें का कथित तौर पर इंतजार करने वाली बसपा व वंचित बहुजन आघाड़ी की भी मुट्ठी बंद है।

प्रदेश अध्यक्ष का दावा

जल्द साफ होगी रणनीति गोंगपा के प्रदेश अध्यक्ष वासुदेव टेकाम का दावा है कि जल्द ही पार्टी की रणनीति साफ हो जाएगी। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के निर्वाचन क्षेत्र दक्षिण पश्चिम नागपुर सहित पश्चिम नागपुर में भी उम्मीदवार उतारने की तैयारी चल रही है। फारवर्ड ब्लाक का भी विदर्भ में प्रभाव रहा है। विदर्भवादी नेता जांबुवंतराव धोटे के समय विदर्भ में फारवर्ड ब्लाक के सांसद व विधायक हुए। निकाय संस्थाओं में भी फारवर्ड ब्लाक की सत्ता में सहभागिता रही। पिछले कुछ चुनावों में अन्य दलों को समर्थन देकर फारवर्ड ब्लाक अपनी उपस्थिति दर्ज कराता रहा है। इस बार वह स्थिति भी नहीं है। समर्थन मांगने के लिए दल या उम्मीदवार नहीं पहुंचे हैं। 

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