गुरु का उपदेश आचरण में उतारता है ज्ञानी, आत्मा का अनुभव मीठे जल की तरह : सुवीरसागर
गुरु का उपदेश आचरण में उतारता है ज्ञानी, आत्मा का अनुभव मीठे जल की तरह : सुवीरसागर
डिजिटल डेस्क, नागपुर। ज्ञानी व्यक्ति गुरु का उपदेश कानों से सुनकर आचरण में उतारता है। यह उद्गार तपस्वी सम्राट आचार्य सन्मतिसागर के शिष्य आचार्य सुवीरसागरजी ने अपने प्रवचन में श्री महावीर दिगंबर जैन मंदिर, महावीरनगर में व्यक्त किए।
आचार्यश्री ने कहा कि निमित्त उपादान और पुरुषार्थ से ज्ञानी जीव संसार से निर्वाण को प्राप्त कर लेता है। आचार्य पूज्यपाद स्वामी इष्टोपदेश ग्रंथराज में कह रहे हैं कि इंद्रियों के विषय भोग आत्मा में खुजली की तरह सदा आकुलता बढ़ाया करते हैं। उनको जितना अधिक भोगा जाए, उतनी ही अधिक उन विषयों की लालसा बढ़ती जाती है। आत्मा उनके लिए बेचैन होता जाता है, आत्मा अपने रसास्वादन से दूर होता जाता है, जब लालसा बढ़ाने वाले इंद्रिय विषयों की ओर से रुचि हटाई जाती है तब अपने आत्मा का परम आनंद और सुख, संतोष, शांति उत्पन्न करने वाला आत्मा का अनुभव होने लगता है।
उस आत्मा के अनुभव से आत्मा की तृप्ति होती है। जैसे मीठा शीतल स्वच्छ जल पीने से प्यास बुझती है। इंद्रियों के विषयभोग प्यास बढा़ने वाले खारा जल पीने के समान है और आत्मा का अनुभव मीठा जल पीने के समान है।
"शिक्षा के साथ बच्चों को संस्कार दे"ं
छत्तीसगढ़ी झिरिया तेली (साहू) समाज उत्तर नागपुर की ओर से कुंदनलाल गुप्ता नगर स्थित शीतला माता मंदिर, सामाजिक भवन में दीपावली स्नेह मिलन का कार्यक्रम आयोजित किया गया। समाज के अध्यक्ष भैयालाल बनपेला ने कहा कि शिक्षा के साथ समाज का आचार-विचार संस्कार बच्चों को देने की आवश्यकता है। अतिथि के रूप में चैतराम सारवा, दिनेश गंगबोईर, दिलीप साहू, चंपालाल अडिल, ईश्वर साहू, भागवत बपेला, एड. राजेंद्र साहू, पदाधिकारी कामताप्रसाद चोरमार, सुरेश सोनवानी, परस हिरोंदी, बाबूलाल अडिल, रामाधार गंगगोईर, भावत नेवरा, संतोष िगदोडा, होरीलाल सोनकलीहारी, खोरबाहरा राउतराय, सोमा साबरसाठी, सुरेन्द्र चंदनमलागर, सीताराम मोहनमाला आदि उपस्थित थे। सफलतार्थ राजू सुलताजन, हीरादास कुंवरदादरा, रमेश साहू, सुरेश राउतराय, कमल बनपेला, सुखदेव सारवा ने प्रयास किया।