पिछले सालों के मुकाबले नर्मदा में छोड़ा जा रहा आधा पानी, इसलिए फ्लो कम

पिछले सालों के मुकाबले नर्मदा में छोड़ा जा रहा आधा पानी, इसलिए फ्लो कम

Bhaskar Hindi
Update: 2018-04-23 07:48 GMT
पिछले सालों के मुकाबले नर्मदा में छोड़ा जा रहा आधा पानी, इसलिए फ्लो कम

डिजिटल डेस्क  जबलपुर । नर्मदा में बारिश के तुरंत बाद से इस बार पानी की धार कम दिखाई दे रही है, इसकी वजह औसत से कम वर्षा तो है ही, साथ ही बरगी बांध से जो पानी छोड़ा जाना चाहिए, उसमें भी ज्यादा कटौती की गई है। पिछले सालों में जब बरगी बांध की टरबाइन विद्युत उत्पादन के लिए  12 से 24 घण्टे चलती थी तो नर्मदा में हर दिन करीब 220 घन मीटर प्रति सेकेण्ड पानी छोड़ा जाता था। इससे सभी प्रमुख घाटों में पानी का बहाव दिखाई देता था, लेकिन इस बार यह पूरे 24 घण्टों में केवल 4 घण्टे ही पानी छोड़ा जाता है, जिससे नर्मदा को मात्र 105 घन मीटर प्रति सेकेण्ड पानी मिलता है। इतने पानी से पूरे क्षेत्र में तेजी के साथ बहाव नहीं दिख रहा है। 

गौरतलब है कि बरगी बांध से विद्युत उत्पादन के बाद ही नर्मदा में जल को छोड़ा जाता है। इसके अलावा नहरों से खेतों में सिंचाई के लिए, साथ ही शहर को पीने के लिए भी पानी दिया जा रहा है। अभी लेफ़्ट बैंक केनाल को 27 घन मीटर प्रति सेकेण्ड तो राइट बैंक केनाल में 6 घन मीटर सेकेण्ड जल जा रहा है। खेतों में जब सिंचाई की जरूरत होगी तो यह जल छोडऩे की मात्रा बढ़ा दी जाएगी। बांध का जल प्रबंधन देखने वाले राजा राम के अनुसार केनाल में जरूरत के हिसाब से पानी छोड़ा जा रहा है, जबकि नर्मदा में विद्युत जनरेशन के बाद पानी अभी केवल 4 घण्टे ही दिया जा रहा है। 

3.8 मीटर है ज्यादा जल   
अप्रैल के मध्य में पिछले साल बरगी बांध में पानी करीब 413.80 मीटर था। इससे अलग इस बार पानी की मात्रा लगातार की जा रही बचत की वजह से ज्यादा है।  आज बांध में पानी का स्तर 417.60 मीटर है। इस तरह पिछले सालों के मुकाबले करीब 3.8 मीटर ज्यादा पानी है। बरगी बांध में जल प्रबंध देखने वाले अधिकारियों का दावा है कि यदि मानसून देरी से भी आया तो भी जबलपुर में पानी की परेशानी नहीं हो सकती है। 

जुलाई तक मिल सकता है पीने को 
आमतौर पर 30 जून से बांध में पानी आना शुरू हो जाता है। जानकारों का कहना है कि यदि शुरूआती मानसून कमजोर होने से रैन वाटर नहीं भी आया तो जुलाई अंत तक जो अभी पानी मौजूद है, उसका उपयोग पीने के लिए किया जा सकता है। बांध का मौजूदा जो जल स्तर है, वह आने वाली जरूरतों को देखते हुये पर्याप्त बताया जा रहा है। इस तरह पानी की कमी जैसी संस्कारधानी में कोई समस्या सामने नहीं है। यदि पानी कम होता भी है तो न्यूनतम स्तर से भी नीचे तक पेयजल के लिए सप्लाई शहर में की जा सकती है। अभी नर्मदा से ही शहर में 92 फीसदी पेयजल की सप्लाई की जा रही है। शेष जल की दूसरे माध्यमों से पूर्ति की जाती है। 

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