सरकार से सवाल - मेलघाट कुपोषण मौत को रोकने विशेष पैकेज तैयार किया क्या?

सरकार से सवाल - मेलघाट कुपोषण मौत को रोकने विशेष पैकेज तैयार किया क्या?

Tejinder Singh
Update: 2019-02-02 14:08 GMT
सरकार से सवाल - मेलघाट कुपोषण मौत को रोकने विशेष पैकेज तैयार किया क्या?

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से जानना चाहा है कि क्या उसने मेलघाट इलाके में कुपोषण से होने वाली मौतों को रोकने के लिए कोई विशेष पैकेज तैयार किया है। हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को 8 फरवरी तक इस विषय पर हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया है। मुख्य जस्टिस नरेश पाटील व जस्टिस एनएम जामदार की बेंच ने डाक्टर राजेंद्र वर्मा,पूर्णिमा उपाध्याय व बीएस साने की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान उपरोक्त निर्देश दिया। 

इससे पहले याचिकाकर्ता साने ने बेंच के सामने कहा कि मेलघाट व दूसरे गांवो में मेडिकल,परिवहन व शिक्षा की कोई सुविधा नहीं है। जहां तक बाद आदिवासियों के लिए स्कूल चलाने की है तो वहां पर अंग्रेजी, मराठी, गणित व दूसरे विषयों की शिक्षक नहीं हैं। इसके अलावा स्कूलों में दूसरी सुविधाएं भी नहीं है। इलाके के ग्राम बाल विकास केंद्र भी कार्यरत नहीं हैं। इस बीच बेंच को आदिवासी सलाहकार परिषद व एकात्मक बाल विकास केंद्र के कामकाज के विषय में भी जानकारी दी गई। बेंच को बताया गया कि अदालत के निर्देश के बावजूद केंद्र सरकार ने अब तक इस विषय को लेकर अपना हलफनामा नहीं दायर किया है। 

याचिकाकर्ता साने की दलीलों को सुनने के बाद बेंच ने मामले की अगली सुनवाई के दौरान राज्य के महाधिवक्ता आशुतोष कुंभकोणी को स्पष्ट करने को कहा कि क्या मेलघाट व दूसरे इलाके में कुपोषण से होनेवाली मौत को रोकने के लिए राज्य सरकार ने कोई विशेष पैकेज तैयार किया है? क्या इन इलाको में कार्य के लिए गैर सरकारी संस्थाओं से सहयोग लिया जा रहा है? मेलघाट इलाके में लोगों को स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करने के लिए क्या राज्य के स्वासथ्य विभाग को मोबाइल पेट्रोलिंग वैन(लगातार गश्त करने वाली गाड़ियां) प्रदान की गई हैं? शिक्षा की स्थिति को सुधारने के लिए क्या कदम उठाए गए है? बेंच ने सरकार को इन तमाम पहलूओं पर अगली सुनवाई के दौरान अपना रुख स्पष्ट करने को कहा है। कोर्ट ने फिलहाल मामले की सुनवाई 8 फरवरी तक के लिए स्थगित कर दी है। 

ट्रैफिक के नियमन के लिए पुलिसकर्मियों के 8655 पदों के सृजन पर 31 मार्च तक निर्णय ले सरकार
दूसरे मामले में बांबे हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को ट्रैफिक के नियमन के लिए पुलिसकर्मियों के 8655 अतिरिक्त पदों के सृजन को लेकर 31 मार्च 2019 तक निर्णय लेने का निर्देश दिया है। राज्य के पुलिस महानिदेशक ने इस संबंध में 23 जनवरी 2019 को सरकार के पास प्रस्ताव भेजा है। जस्टिस अभय ओक व जस्टिस एएस गड़करी की बेंच ने महानगर निवासी टीजी खानचंदानी की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया। याचिका में अवैध पार्किंग व लावरिस वाहनों की यहां-वहां पार्किंग से होने वाली परेशानी के मुद्दे को उठाया गया है। बेंच ने अपने आदेश में स्पष्ट किया है कि पुलिसकर्मियों के अतिरिक्त पदों को सृजन को लेकर लोकसभा चुनाव के दौरान आचार संहिता सरकार के लिए अवरोध नहीं बनेगी। सरकार इस दौरान पदों को लेकर फैसला कर सकती है। 

इससे पहले सरकारी वकील ने बेंच के सामने कहा कि राज्य के पुलिस महानिदेशक ने ट्रैफिक के नियमन को लेकर राज्य सरकार को एक प्रस्ताव भेजा है। जिसमें पुलिसकर्मियों के अतिरिक्त पदों के सृजन के अलावा स्टाफिंग पैटर्न में भी बदलाव का सुझाव दिया गया है। सरकारी वकील की इन दलीलों को सुनने व राज्य के पुलिस महानिदेशक के प्रस्ताव की बात को जानने के बाद बेंच ने राज्य सरकार को उपरोक्त निर्देश दिया और मामले की सुनवाई 15 फरवरी तक के लिए स्थगित कर दी। 

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