HC का सरकार से सवाल- अतिक्रमण को लेकर क्या कार्रवाई हुई ?

HC का सरकार से सवाल- अतिक्रमण को लेकर क्या कार्रवाई हुई ?

Bhaskar Hindi
Update: 2017-08-22 04:43 GMT
HC का सरकार से सवाल- अतिक्रमण को लेकर क्या कार्रवाई हुई ?

डिजिटल डेस्क,जबलपुर। हाइकोर्ट ने सरकार से उस याचिका पर नोटिस जारी करते हुए जवाब मांगा है जिसमें शहपुरा भिटौनी के ढाई किमी के हिस्से में फैले अतिक्रमणों को चुनौती दी गई है। याचिका में आरोप लगाया है कि इन अतिक्रमणों के कारण स्टेट हाईवे काफी सकरा हो गया, जिससे वहां पर हमेशा जाम लगा रहता है।

दरअसल यह याचिका शहपुरा के पूर्व पार्षद जयनारायण बादल और चिंजूलाल पाटकर की ओर से दायर की गई है। आवेदकों का कहना है कि जबलपुर से नरसिंहपुर की ओर से जाने वाला स्टेट हाईवे 22 शहपुरा भिटौनी से गुजरता है। भिटौनी में इसी मार्ग पर करीब सवा सौ अतिक्रमण हैं, जिसके कारण वहां पर जाम लगा रहता है। अतिक्रमण का खामियाजा वहां से गुजरने वाले लोगों को भुगतना पड़ता है।

आवेदकों का कहना है कि 25 जून 2016 को जबलपुर कलेक्टर ने आदेश जारी करके सभी अतिक्रमणकारियों को नोटिस देकर अतिक्रमण हटाने के लिए कहा था। इसके साथ ही चेतावनी भी दी गई थी कि अतिक्रमण न हटाने की सूरत में बुलडोजर से कार्रवाई की जाएगी। आवेदकों का आरोप है कि इस आदेश के 15 माह बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई। इन आधारों के साथ दायर याचिका में राहत चाही गई है कि इन अतिक्रमणों को तत्काल हटाने के निर्देश अनावेदकों को दिए जाएं।

चिन्हित मार्गों से क्यों नहीं गुजर रहे वाहन?

वहीं एक और मामले में हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि झाबुआ पावर प्लांट से होने वाले परिवहन के लिए जो मार्ग अधिसूचित किए गए थे, वहां से प्लांट के वाहन क्यों नहीं गुजर रहे हैं? चीफ जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की युगलपीठ ने यह सवाल उस जनहित याचिका पर किया, जिसमें प्लांट के वाहनों से कोल, डस्ट व मटेरियल का अवैध परिवहन किए जाने को चुनौती दी गई है। युगलपीठ ने अनावेदकों को चार सप्ताह में जवाब पेश करने का समय दिया है। 

दरअसल याचिका में आरोप है कि सिवनी जिले के घंसौर में झाबुआ पावर प्लांट में अवैध रूप से रात दिन भारी डंपरों और हाईवा से कोल, डस्ट सहित अन्य मटेरियल का परिवहन किया जा रहा है। आवेदक का आरोप है कि परिवहन 25 से 30 गांवों से गुजरने वाले रास्तों से हो रहा है। वहीं झाबुआ पावर प्लांट के लिए पहले से ही दो अलग रूट निर्धारित करके राजपत्र में प्रकाशित किए गए थे। इन दोनों ही मार्गों को छोड़कर गांव वालों के लिए तय रास्ते से परिवहन होने को चुनौती देकर यह याचिका दायर की गई। याचिका में दावा किया गया है कि कंपनी के खिलाफ संबंधित अधिकारियों से शिकायतें की गईं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई। मामले पर हुई सुनवाई के दौरान युगलपीठ ने अधिसूचित मार्गों से परिवहन के मुद्दे पर सरकार को जवाब पेश करने कहा है।


 

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