एमबीए एडमिशन पर 28 को सर्वोच्च न्यायालय में सुनवाई, लटकी है प्रक्रिया

एमबीए एडमिशन पर 28 को सर्वोच्च न्यायालय में सुनवाई, लटकी है प्रक्रिया

Anita Peddulwar
Update: 2019-08-26 09:58 GMT
एमबीए एडमिशन पर 28 को सर्वोच्च न्यायालय में सुनवाई, लटकी है प्रक्रिया

डिजिटल डेस्क, नागपुर। प्रदेश में बीते कुछ समय से एमबीए की प्रवेश प्रक्रिया लटकी पड़ी है। प्रवेश प्रक्रिया का योग्य आयोजन करने में असफल साबित हुए स्टेट कॉमन एंट्रेंस टेस्ट सेल को लेकर विद्यार्थी वर्ग खासा आक्रोशित है। इसके पहले के सीट आवंटन में हुई गड़बड़ी के कारण पूरी प्रवेश प्रक्रिया नए सिरे से आयोजित की जा रही है। कुछ विद्यार्थियों ने देश की सर्वोच्च अदालत में इस संबंध में याचिका दायर कर रखी है। 

मामले में सर्वोच्च न्यायालय के ‘जैसे थे’ के आदेश हैं, अगली सुनवाई 28 अगस्त को है। लिहाजा एमबीए प्रवेश के इच्छुक प्रदेश के समूचे विद्यार्थी वर्ग की नजर सुनवाई पर  है। 28 अगस्त को यदि कोर्ट प्रवेश प्रक्रिया आगे बढ़ाने का आदेश जारी करता है, तो कैप राउंड में पूरा सितंबर माह बीत जाएगा। कक्षाएं अक्टूबर-नवंबर में ही शुरू हो सकेगी।

अमूमन नवंबर माह में पहले सेमिस्टर की परीक्षाएं शुरू हो जाती थी, लेकिन प्रवेश ही देरी से होंगे तो परीक्षाएं भी देरी से होंगी। नियमानुसार एक सेमिस्टर में 90 दिन की पढ़ाई करानी होती है। ऐसे में विद्यार्थियों का पूरा शैक्षणिक सत्र गड़बड़ाना तय है। इसका असर विद्यार्थियों के प्लेसमेंट्स पर भी पड़ेगा। अमूमन दूसरे राज्यों के विद्यार्थियों को पहले प्लेसमेंट मिलेगा। प्रदेश के विद्यार्थियों को बेहतर कंपनियों में प्लेसमेंट से वंचित रहने की नौबत आ सकती है। 

यहां हुई गड़बड़ी

दरअसल, सीईटी सेल द्वारा शुरू की गई एमबीए की प्रवेश प्रक्रिया में कई विद्यार्थियों ने फर्जी स्कोर कार्ड के जरिए पहले राउंड मंे प्रवेश प्राप्त किए। दूसरी ओर जमनालाल बजाज इंस्टीट्यूट से जुड़ी एक याचिका पर बॉम्बे हाईकोर्ट ने फिर से मेरिट लिस्ट जारी करने के आदेश दिए थे। अब तो यह मामला सर्वोच्च न्यायालय की शरण में है, जिसके कारण यह प्रवेश प्रक्रिया 28 अगस्त तक रोक दी गई है। विद्यार्थियों के अनुसार राज्य सरकार और सीईटी सेल की विफलता के कारण प्रवेश प्रक्रिया में करीब दो माह की देरी हो गई। 1 अगस्त से शैक्षणिक सत्र की शुरुआत होनी थी, लेकिन अब मामला कोर्ट के विचाराधीन है।  

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