हाईकोर्ट की हिदायत - फीस को लेकर सहानुभूतिपूर्वक विचार करें स्कूल

हाईकोर्ट की हिदायत - फीस को लेकर सहानुभूतिपूर्वक विचार करें स्कूल

Tejinder Singh
Update: 2021-04-30 12:51 GMT
हाईकोर्ट की हिदायत - फीस को लेकर सहानुभूतिपूर्वक विचार करें स्कूल

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बॉम्बे हाईकोर्ट ने फीस न भरने के चलते ऑनलाइन क्लास से निकाले गए विद्यार्थियों के अभिभावकों के निवेदन पर स्कूल को सहानुभूति पूर्वक विचार करने का निर्देश दिया है। मामला मुंबई के एबीवीएम अग्रवाल जेकेजे पोद्दार एकेडमी स्कूल से जुड़ा है। जहां के 204 विद्यार्थियों ने अपने अभिभावकों के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। याचिका में अभिभावकों ने दावा किया है कि स्कूल उनसे अतार्किक फीस की मांग कर रहा है। वे कोरोना के चलते पैदा हुई विकट परिस्थितियों के चलते यह फीस भर पाने में असमर्थ है। याचिका में अभिभावकों ने कहा है कि लॉकडाउन के चलते उनकी सारी बचत खत्म हो गई है। लॉकडाउन का असर हमारे कामकाज पर भी पड़ा है। जिसके चलते वे स्कूल द्वारा मांगी जा रही फीस को भर पाने की स्थिति में नहीं है। इसके चलते स्कूल ने विद्यार्थियों को ऑनलाइन पढ़ाई से दूर कर दिया है। जबकि सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक आदेश में स्कूलों को फीस न भर पाने की स्थिति में स्कूलों के प्रति सहानुभूति पूर्ण रुख अपनाने को कहा है। 

न्यायमूर्ति नीतिन जामदार व न्यायमूर्ति सी वी भडंग की खंडपीठ के सामने याचिका पर सुनवाई हुई। इस दौरान स्कूल की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता ए जी कोठारी ने कहा कि स्कूल पिछले तीन सालों से एक जैसी फीस ले रहा है। स्कूल की ओर से अभिभावकों से कोई अतार्किक फीस नहीं मांगी गई है। फिर भी कई अभिभावकों ने इस वर्ष बिल्कुल भी फीस नहीं जमा किया है। उन्होंने कहा कि सात मई 2021 से स्कूल बंद हो जाएगी। इसके बाद स्कूल 8 जून 2021 को स्कूल खुलेगी। 

इन दलीलों को सुनने व याचिका पर गौर करने के बाद खंडपीठ ने कहा कि याचिका में इसका कोई विवरण नहीं दिया गया है कि किस छात्र की कितनी फीस बकाया है। स्कूल ने किस किस मद में फीस मांगी है। अभिभावकों ने अब तक अपनी बात स्कूल प्रशासन व प्रबंधन के सामने नहीं रखी है। इसलिए हम निर्देश देते है कि कोर्ट आए विद्यार्थियों  के अभिभावक अलग अलग अपना निवेदन स्कूल के सामने रखे जिस पर स्कूल सहानुभुति पूर्वक विचार कर अपने निर्णय की जानकारी हर अभिभावक को व्यक्तिगत रूप से दे। यह बात कहते हुए खंडपीठ ने याचिका पर सुनवाई 8 जून 2021 तक के लिए स्थगित कर दी। 


 

 
 

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