हाईकोर्ट: एमपीपीएससी परीक्षाओं पर रोक से हाईकोर्ट का इंकार, सरकार और आयोग से जवाब तलब

हाईकोर्ट: एमपीपीएससी परीक्षाओं पर रोक से हाईकोर्ट का इंकार, सरकार और आयोग से जवाब तलब

Bhaskar Hindi
Update: 2019-11-25 17:25 GMT
हाईकोर्ट: एमपीपीएससी परीक्षाओं पर रोक से हाईकोर्ट का इंकार, सरकार और आयोग से जवाब तलब


डिजिटल डेस्क जबलपुर। हाईकोर्ट ने सोमवार को एमपीपीएससी द्वारा 450 पदों पर की जाने वाली नियुक्तियों पर रोक लगाने से इंकार कर दिया है। नियुक्ति की प्रक्रिया में आरक्षण का आंकड़ा 50 फीसदी से ज्यादा होने को चुनौती देने वाली याचिका पर चीफ जस्टिस अजय कुमार मित्तल और जस्टिस मोहम्मद फहीम अनवर की युगलपीठ ने सरकार और लोक सेवा आयोग को नोटिस जारी कर 2 सप्ताह में जवाब पेश करने कहा है।
सागर के डॉ. पीयूष जैन की ओर से दायर इस याचिका में कहा गया है कि म.प्र. लोकसेवा आयोग द्वारा हाल ही में 14 नवंबर को विज्ञापन द्वारा लगभग  450 प्रशासनिक पदों पर आवेदन बुलाये गये, जिसमें तहसीलदार, नायब तहसीलदार, लेबर इंस्पेक्टर व अन्य शासकीय पदों की नियुक्ति प्रक्रिया प्रारंभ की गई है। इस संपूर्ण प्रक्रिया में 27 प्रतिशत पद पिछड़ा वर्ग हेतु आरक्षित कर लिये गये। इससे आरक्षण का आंकड़ा 50 प्रतिशत से ज्यादा हो गया, जो भारतीय संविधान की मंशा और सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए दिशानिर्देशों के खिलाफ है।
मामले पर सोमवार को हुई प्रारंभिक सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता सिद्धार्थ राधेलाल गुप्ता, रोहन हरणे व सुयश ठाकुर और राज्य सरकार की ओर से शासकीय अधिवक्ता हिमान्शु मिश्रा हाजिर हुए। नियुक्ति प्रक्रिया पर रोक लगाने से इंकार करते हुए युगलपीठ ने राज्य सरकार और एमपीपीएससी को जवाब पेश करने के निर्देश दिए।
ओबीसी आरक्षण के मामलों पर सुनवाई अब 13 जनवरी को
राज्य सरकार द्वारा ओबीसी वर्ग के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण किये जाने के संबंध में दायर आधा दर्जन याचिकाओं पर हाईकोर्ट में सोमवार को सुनवाई टल गई। चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली युगलपीठ ने मामलों पर अगली सुनवाई 13 जनवरी को निर्धारित की है। हाईकोर्ट में ये मामले अशिता दुबे, नागारिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच व अन्य की ओर से दायर करके प्रदेश सरकार द्वारा ओबीसी वर्ग के लिए आरक्षण 27 प्रतिशत किये जाने को चुनौती दी गई है। आवेदकों का कहना है कि प्रदेश सरकार ने 8 जुलाई 2019 को ओबीसी वर्ग के लिए आरक्षण का प्रतिशत बढ़ाने विधानसभा से बिल पारित किया गया। इसके पहले ओबीसी वर्ग के लिए 14 प्रतिशत आरक्षण निर्धारित था, जिसे बढ़ाना अवैधानिक है। याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता आदित्य संघी, दिनेश उपाध्याय पैरवी कर रहे हैं।

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