नामनिर्देशित सदस्यों के जीआर पर नागपुर में खामोशी, वर्धा में हुआ अमल

नामनिर्देशित सदस्यों के जीआर पर नागपुर में खामोशी, वर्धा में हुआ अमल

Anita Peddulwar
Update: 2020-01-21 08:36 GMT
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डिजिटल डेस्क, नागपुर। राज्य सरकार ने पूर्व की फडणवीस सरकार द्वारा जिलों में नियुक्त नामनिर्देशित सदस्यों की नियुक्ति रद्द करने का जीआर पिछले महीने जारी किया, लेकिन जिले में इस मुद्दे को लेकर कोई हलचल नहीं है। हालांकि पड़ोसी जिले वर्धा में इस पर अमल हो गया है।  जिला नियोजन समिति में जिले के विधान सभा सदस्य, विधान परिषद सदस्य, लोकसभा सदस्य व राज्यसभा सदस्य होते हैं। पालकमंत्री की ओर से कुछ विधायकों को नाम निर्देशित सदस्य भी बनाया जाता है। ये सदस्य कार्यकारी समिति व जिला नियोजन समिति दोनों में होते हैं। राज्य सरकार के आदेश पर पड़ोसी जिले वर्धा में अमल हुआ आैर भाजपा विधायक समीर कुणावार व डाॅ. पंकज भोयर को नामनिर्देशित सदस्य के पद से हटा दिया गया। इस तरह की कोई कार्रवाई अब तक नागपुर में जिला नियोजन अधिकारी कार्यालय की आेर से नहीं हुई है। 

यहां ऐसा कोई मामला नहीं है 
जिला नियोजन समिति में जिले के सभी सांसद व विधायक विशेष निमंत्रित सदस्य होते हैं। नाम निर्देशित सदस्यों को हटाने संबंधी कोई मामला फिलहाल यहां नहीं है। पालकमंत्री की तरफ से अभी तक नए नामनिर्देशित सदस्यों के नाम प्राप्त नहीं हुए है। पिछली सरकार के दौरान नियुक्त नाम निर्देशित सदस्यों के बारे में भी जानकारी नहीं है। जिला नियोजन समिति व कार्यकारी समिति होती है, लेकिन यहां ऐसा मसला नहीं है।  - मिलिंद नारिंगे, जिला नियोजन अधिकारी नागपुर

12 साल सेवा दे चुके शिक्षक वरिष्ठ वेतणश्रेणी के हकदार
शिक्षा विभाग ने 3 जनवरी को पत्र जारी कर स्पष्ट किया कि 12 साल पूर्ण कर चुके शिक्षक वरिष्ठ वेतनश्रेणी के हकदार हैं। वरिष्ठ वेतनश्रेणी का लाभ प्राप्त करने के लिए अलग से प्रशिक्षण लेने की कोई जरूरत नहीं है। शिक्षक हेमंत गांजरे को शिक्षणाधिकारी, लेखाधिकारी व शिक्षा उपसंचालक कार्यालय ने प्रशिक्षण नहीं होने का कारण बताकर वरिष्ठ श्रेणी देने से इनकार कर दिया था। शिक्षा विभाग ने इस संंबंध में पत्र जारी किया है, पत्र मंे बताया गया कि 12 साल पूर्ण कर चुके शिक्षकों का वरिष्ठ वेतन श्रेणी प्राप्त करने का रास्ता साफ हो गया है।  शालेय शिक्षा व क्रीड़ा विभाग ने 26 अगस्त 2019 को जीआर जारी करके वरिष्ठ वेतन श्रेणी का लाभ प्राप्त करने के लिए अलग से प्रशिक्षण की जरूरत नहीं होने की बात स्पष्ट की।

प्रशिक्षण नहीं होने का कारण बताकर लेखाधिकारी आर. पी. गिरि ने शिक्षक हेमंत गांजरे का वरिष्ठ वेतन श्रेणी का प्रस्ताव वापस कर दिया था। पीड़ित हेमंत गांजरे ने बताया कि शिक्षा उपसंचालक श्री मेंढे व माध्यमिक शिक्षणाधिकारी श्री पटवे ने भी जिम्मेदारी का निर्वहन नहीं करते हुए गुमराह करने की कोशिश की। जीआर मराठी में था, लेकिन इन अधिकारियों को समझ में नहीं आया। सरकार व शिक्षा विभाग से लगातार पत्राचार करने के अलावा शिक्षक संगठनों के माध्यम से भी संघर्ष जारी रहा आैर अंतत: शिक्षा विभाग ने 3 जनवरी को पत्र जारी कर प्रशिक्षण की शर्त रद्द करने की जानकारी दी। 16 जनवरी को यह पत्र शिक्षा उपसंचालक कार्यालय पहुंचा। अब 12 साल पूरे कर चुका शिक्षक वरिष्ठ वेतनश्रेणी के हकदार है। 

जांच रिपोर्ट देने को कहा
शिक्षा व क्रीड़ा विभाग के अवर सचिव एस. डी. माने ने  26 अगस्त 2019 के जीआर के अनुसार कार्रवाई नहीं करने वाले माध्यमिक शिक्षणाधिकारी की जांच कर दोषी पाए जाने पर अपराध  दर्ज करने के आदेश दिए हैं। जांच रिपोर्ट से सरकार को अवगत करने को कहा गया है। इससे जिला परिषद के शिक्षा विभाग में हड़कंप मच गया है।
 

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