15 दिनों में चालू हो जाएगी जबलपुर-गोंदिया ब्रॉडगेज लाइन, उत्तर-दक्षिण की दूरी  270 किमी कम हो जाएगी

15 दिनों में चालू हो जाएगी जबलपुर-गोंदिया ब्रॉडगेज लाइन, उत्तर-दक्षिण की दूरी  270 किमी कम हो जाएगी

Bhaskar Hindi
Update: 2020-10-09 08:23 GMT
15 दिनों में चालू हो जाएगी जबलपुर-गोंदिया ब्रॉडगेज लाइन, उत्तर-दक्षिण की दूरी  270 किमी कम हो जाएगी

23 वर्षों से बहुप्रतीक्षित ब्रॉडगेज रेल लाइन का सपना पूरा होने के अंतिम चरणों में 
डिजिटल डेस्क जबलपुर ।
रेल यात्रियों के लिए खुशखबरी यह है कि आने वाले 15 दिनों में जबलपुर-गोंदिया ब्रॉडगेज रेल लाइन चालू होने जा रही है। सूत्रों के अनुसार कमिश्नर रेलवे सेफ्टी, सीआरएस एके राय लामता से समनापुर तक नए रेल ट्रैक पर ट्रेन चलाएँगे, जिसके बाद करीब 23 वर्षों से बहुप्रतीक्षित जबलपुर-गोंदिया ब्रॉडगेज रेल लाइन का सपना पूरा हो जाएगा। इसके साथ ही दक्षिण भारत की यात्रा के लिए करीब 270 किमी की दूरी कम हो जाएगी, वहीं साढ़े पाँच घंटे के सफर की बचत होगी। वर्तमान में इस ट्रैक पर जबलपुर से नैनपुर के बीच दो गाडिय़ों का संचालन किया जा रहा है। लामता से चरेगांव स्टेशन तक के 12 किलोमीटर मार्ग में खंबे लग चुके हैं, बिजली की तारें कनेक्ट हो चुकी हैं।  वहीं चरेगांव से समनापुर तक बिजली के खंबे लग चुके हैं लेकिन तार अभी तक नहीं लग पाए हैं। जिनको लगाने का काम तेजी से किया जा रहा है। 
परियोजना एक नजर में 
>    वर्ष 1996-97 में जबलपुर-गोंदिया ब्रॉडगेज परियोजना को स्वीकृति मिली। 
>    कुल 1755 करोड़ रु.की है परियोजना। 
>    229 किलोमीटर लंबी है जबलपुर-गोंदिया ब्रॉडगेज परियोजना 
>    194.3 करोड़ रुपए है इलेक्ट्रिफिकेशन प्रोजेक्ट की लागत, 2016 में मिली थी विद्युतीकरण परियोजना की अनुमति 
इन ट्रेनों का होगा संचालन 
>    जबलपुर से संघमित्रा एक्सप्रेस
>    जबलपुर त्रिवेद्रम एक्सप्रेस 
>    जबलपुर सिकंदराबाद एक्सप्रेस
टॉप-थ्री कैटेगरी और टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी से निकल पाना चुनौती से कम नहीं था -राकेश सिंह, सांसद जबलपुर  
सकारात्मक सोच के साथ मैंने जनता के हित में हर दिन जबलपुर-गोंदिया ब्रॉडगेज परियोजना के लिए जहाँ तक हो सका, वहाँ तक कोशिशें कीं, जिसके अच्छे परिणाम आते चले गए। शुरूआती दौर में मैंने देखा कि परियोजना को कैटेगरी-थ्री में रखा गया, जो नागवार गुजरा। मैंने तत्कालिक रेल मंत्री पवन बसंल से मुलाकात कर महात्वाकांक्षी परियोजना के महत्व के बारे में उन्हें बताया और तब जाकर प्रोजेक्ट को टॉप कैटेगरी में जगह दी गई, तब जाकर परियोजना को गति मिली। आगे परियोजना नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी में जाकर फँस गई, जिसमें मेम्बर सेक्रेटरी राजेश गोपाल ने भरपूर सहयोग किया। जिसमें हर बाधा को पार करना किसी चुनौती से कम नहीं था। पर्यावरण और अन्य बाधाओं के लिए लंबा संघर्ष किया, जिसके सकारात्मक परिणाम दिखाई दे रहे हैं। आखिरकार मेरा संघर्ष रंग लाया। 

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