रिश्वत लेने के आरोपी तहसीलदार के रीडर को चार साल की सजा
रिश्वत लेने के आरोपी तहसीलदार के रीडर को चार साल की सजा
डिजिटल डेस्क, जबलपुर। लोकायुक्त के विशेष न्यायाधीश ने दो हजार रुपए की रिश्वत लेने के आरोप में गोहलपुर तहसीलदार के तत्कालीन रीडर नरेन्द्र सिंह परमार को चार साल के कारावास की सजा सुनाई है। न्यायालय ने रीडर पर दो हजार रुपए का अर्थदंड भी लगाया है। उललेखनीय है कि रीडर द्वारा नामांतरण आदेश तैयार करने के बदले में दो हजार रुपए की रिश्वत ली थी। विशेष लोक अभियोजक प्रशांत शुक्ला ने तर्क दिया कि अभियोजन साक्षियों ने अपने बयान में स्पष्ट कहा है कि आरोपी ने शिकायतकर्ता से दो हजार रुपए रिश्वत ली थी। आरोपी की रिश्वत मांगे जाने की रिकार्डिंग भी मौजूद है। सुनवाई के बाद न्यायालय ने नरेन्द्र सिंह परमार को चार साल का कारावास और 2500 रुपए अर्थदंड की सजा सुनाई।
यह की थी शिकायत-
अभियोजन के अनुसार गौरीशंकर यादव ने 27 जनवरी 2017 को शिकायत दर्ज कराई कि नर्मदा नगर जबलपुर में उसने दो प्लाट खरीदे थे। एक प्लाट उसके नाम पर और एक प्लाट पत्नी के नाम पर नामांतरण कराने के लिए उसने गोहलपुर तहसीलदार रश्मि चतुर्वेदी को आवेदन दिया था। दस्तावेजों का अवलोकन करने के बाद तहसीलदार ने 17 जनवरी 2017 को नामांतरण आदेश तैयार करने का निर्देश दिया था। नामांतरण आदेश तैयार करने के लिए तहसीलदार के रीडर नरेन्द्र सिंह परमार द्वारा दो हजार रुपए की रिश्वत मांगी जा रही थी।
लोकायुक्त टीम ने किया था रंगे हाथ गिरफ्तार-
लोकायुक्त की टीम ने 30 जनवरी 2017 को कलेक्ट्रेट स्थित कार्यालय में रीडर नरेन्द्र सिंह परमार को गौरीशंकर यादव से दो हजार रुपए की रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार किया। विशेष लोक अभियोजक प्रशांत शुक्ला ने तर्क दिया कि अभियोजन साक्षियों ने अपने बयान में स्पष्ट कहा है कि आरोपी ने शिकायतकर्ता से दो हजार रुपए रिश्वत ली थी। आरोपी की रिश्वत मांगे जाने की रिकार्डिंग भी मौजूद है। सुनवाई के बाद न्यायालय ने नरेन्द्र सिंह परमार को चार साल का कारावास और 2500 रुपए अर्थदंड की सजा सुनाई।