मेडिकल-मेयो का नाम सुनते ही लौट जाते कई मजदूर, कोरोना को लेकर दहशत 

मेडिकल-मेयो का नाम सुनते ही लौट जाते कई मजदूर, कोरोना को लेकर दहशत 

Tejinder Singh
Update: 2020-06-03 13:52 GMT
मेडिकल-मेयो का नाम सुनते ही लौट जाते कई मजदूर, कोरोना को लेकर दहशत 

डिजिटल डेस्क, नागपुर। कोरोना के चलते मजदूरों में खासी दहशत बनी हुई है। ठेकेदारों को मजदूरों के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है, जैसे ही मजदूरों को मालूम चलता है कि उन्हें शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल (मेडिकल) या इंदिरा गांधी शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल (मेयो) में काम करने जाना है, तो कई लोग काम करने से साफ इंकार कर देते हैं। इतना ही नहीं कई मजदूरों को रास्ते में मालूम चला, तो वह अस्पताल का नाम सुनकर रास्ते से ही लौट गए, क्योंकि इन दोनों ही अस्पतालों में कोरोना के मरीजों का उपचार किया जा रहा है। इस वजह से मैंटेनेंस के छोटे-छोटे कार्यों में ना सिर्फ समय दोगुना लग रहा है बल्कि मजदूरी भी अधिक ले रहे हैं।

सभी लोगों को पता है कि कोरोना के मरीजों का उपचार मेडिकल-मेयो में किया जा रहा है। ऐसे में वहां लगातार मरीजों को सुविधा देने के लिए रिपेयरिंग का काम किया जा रहा है। छोटी-छोटी चीजों की समस्या वजह से परेशानी खड़ी हो जाती है जिसे दूर करने के लिए उनको बुलवाया जाता है जिसमें कभी पेंटर, बाढ़ई, मजदूरी, कारीगर, प्लंबर आदि लोगों की जरुरत हमेशा पड़ती रहती है लेकिन कई सारे लोग ऐसे है जो अस्पताल का नाम सुनकर भाग खड़े होते हैं। हालांकि ऐसा नहीं हुआ है कि किसी के ना आने की वजह से कोई काम रुका हो। कोरोना पॉजिटिव मरीजों के वॉर्ड में भी लोगों ने पीपीई किट पहनकर काम किया है, लेकिन इन सबसे काम करने वालों ने अपनी मजदूरी को डेढ़ से दोगुना कर दिया है।

मामला नंबर 1

मेडिकल के एक वॉर्ड में पानी लीकेज हो रहा था। शिकायत के बाद प्लंबर को बुलवाया गया तो अस्पताल का नाम सुनते ही उसने काम करने से साफ इंकार कर दिया। ठेकेदार ने लीकेज के काम को करने के लिए 4 लोगों से संपर्क किया तब जाकर उसे सुधारा गया।

मामला नंबर 2

मेडिकल में कोरोना मरीजों के लिए वाॅर्ड तैयार किया जा रहा था, वॉर्ड में एक गेट लगाना था। बाढ़ई को बताया कि कोरोना के मरीजों के लिए वार्ड में गेट लगाना है तो उसने सीधा मना कर दिया। इसके बाद कई लोगों से संपर्क करने के बाद वहां का काम पूरा किया।

इनका कहना है

पीडब्लूडी मेडिकल के सहायक अभियंता संजय उपाध्ये के मुताबिक हमें तय समय में कोरोना के मरीजों के लिए सुविधाएं तैयार करना है लेकिन अस्पताल का नाम सुनते ही मजदूर काम से मना कर देते है। इससे कई बार समय भी अधिक लग जाता है और उनको मजदूरी तो अधिक देनी पड़ ही रही है।

 

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