मॉनसून के पानी के संरक्षण के लिए मीनाताई ठाकरे जल भंडारण योजना 

मॉनसून के पानी के संरक्षण के लिए मीनाताई ठाकरे जल भंडारण योजना 

Tejinder Singh
Update: 2021-05-19 14:40 GMT
मॉनसून के पानी के संरक्षण के लिए मीनाताई ठाकरे जल भंडारण योजना 

डिजिटल डेस्क, मुंबई। प्रदेश में कम पानी उपलब्ध होने की अवधि के दौरान कैच द रेन के सिद्धांत पर पेयजल उपलब्ध कराने के लिए स्वर्गीय मीनाताई ठाकरे ग्रामीण जल भंडारण योजना लागू की जाएगी। प्रदेश के जलापूर्ति व स्वच्छता मंत्री गुलाबराव पाटील ने बुधवार को यह जानकारी दी। पाटील ने कहा कि योजना के तहत बारिश में उपलब्ध होने वाले पानी को गर्मी तक जल भंडारण टंकी में रखा जाएगा। इसके बादजल शुद्धिकरण प्रक्रिया के बाद पानी की आपूर्ति की जाएगी। 

पाटील ने बताया कि यह योजना50 से 500 जनसंख्या वाले सूखा प्रभावित, पहाड़ी, आदिवासी, सुदूर और टैंकर की आवश्यकता वाले गांवों और बस्तियों में लागू की जाएगी। बारिश के पानी को गर्मी के मौसम तक मेटैलिक भंडारण टैंक, फेरोसिमेंट अथवा आरसीसी सीमेंट टंकी और जलकुंभों में जमा किया जाएगा। जिससे भंडारण किए गए पानी का गर्मी के समय इस्तेमाल किया जा सकेगा।पाटील ने बताया कि ‘कैच द रेन’ सिद्धांत के तहत नीति तय करने के लिए पुणे के भूजल सर्वेक्षणऔर विकास एजेंसी के निदेशक की अध्यक्षता में समिति गठित की गई थी। इस समिति की रिपोर्ट के अनुसार जल भंडारण के लिए नई योजना लागू करने का फैसला किया गया है।  

योजना लागू करने का मापदंड 

इस योजना के तहत 15 लाख रुपए तक के खर्च की प्रशासनिक मंजूरी और लागू करने का अधिकार ग्राम पंचायतों को होगा। जबकि 15 लाख रुपए से अधिक राशि खर्च के लिए मंजूरी का अधिकार जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी के पास होगा। जिले के एकत्रित प्रस्ताव को पालक मंत्री की अध्यक्षता वाली समिति मंजूरी देगी। इस योजना को लागू करने के लिए जल जीवन मिशन कार्यक्रम,व्यावसायिक सामाजिक उत्तरदायित्व निधि (सीएसआर), 15 वें वित्त आयोग, जिला नियोजन समिति की निधि के माध्यम से धनराशि उपलब्ध कराई जाएगी।  

173 तहसीलों में सूखे का प्रभाव 

पाटील ने कहा कि राज्य में गर्मी के 3 से 4 महीनों के दौरान पानी की उपलब्धता कम रहती है। प्रदेश में लगभग 42.5 प्रतिशत क्षेत्र यानी 173 तहसीलें सूखा ग्रस्त क्षेत्रों में आती हैं। राज्य की भौगोलिक रचना के कारण भूजल की उपलब्धता अस्थाई रहती है। राज्य के कई गांवों और बस्तियों में स्थायी पेयजल उपलब्ध नहीं हो पाता है। राज्य में होने वाली बारिश का 70 प्रतिशत पानी वाष्पित हो जाता है। इसलिए जलसंकट की समस्या के समाधान के लिए यह योजना लागू करने का फैसला किया गया है। 

 

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