अधिकारियों की लापरवाही से डूबे पैसे, गडचिरोली में नहीं चल सकी वर्चुअल क्लास

अधिकारियों की लापरवाही से डूबे पैसे, गडचिरोली में नहीं चल सकी वर्चुअल क्लास

Tejinder Singh
Update: 2018-07-16 15:00 GMT
अधिकारियों की लापरवाही से डूबे पैसे, गडचिरोली में नहीं चल सकी वर्चुअल क्लास

डिजिटल डेस्क, नागपुर। विजय सिंह ‘कौशिक’। गडचिरोली जिले के औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान (ITI) में 1 करोड़ 6 लाख रुपये खर्च कर शुरू किया गया ई-विद्या प्रोजेक्ट पूरी तरह से असफल रहा है। कनेक्टिविटी कि समस्या के चलते परियोजना चलाई नहीं जा सकी। इस मामले में आपूर्तिकर्ता के खिलाफ कोई करवाई नही की गई। विधानमंडल में पेश लोकलेखा समिति की रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है। कांग्रेस विधायक गोपालदास अग्रवाल की अध्यक्षता वाली समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि उपकरण आपूर्ति का आदेश जिलाधिकारी कार्यालय ने जारी किया था, इसलिए जिलाधिकारी कार्यालय द्वारा करवाई होनी चाहिए थी। विभागीय सचिव ने समिति को बताया कि डीपीडीसी की निधि से जिले के 12 ITI में वर्चुअल क्लास रूम के लिए जिलाधिकारी कार्यालय ने टेंडर निकाले थे। इस टेंडर में कारवाई का प्रावधान था। लेकिन जिला व्यवसाय शिक्षण प्रशिक्षण अधिकारी कार्यालय द्वारा किये गए करार में दंडात्मक करवाई का प्रावधान नही था। इसके चलते आपूर्तिकर्ता के खिलाफ कारवाई नहीं हो सकी।

ITI के मिले 625 करोड़, खर्च हुए सिर्फ 171 करोड़
औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान यानि आईआईटी का स्तर सुधारने केंद्र सरकार ने 2011-12 के दौरानराज्य के 250 ITI के लिए 625 करोड़ रुपए की निधि दी थी। लेकिन अभी तक सिर्फ 171 करोड़ रुपए ही खर्च हो सकी है। लोकलेखा समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि महाराष्ट्र में ITI की स्थित बेहद खराब है। केंद्र से मिले पैसों का इस्तेमाल कर इनका स्तर सुधारने और अत्याधुनिकरण के लिए संबंधित विभाग ने कुछ नहीं किया। कई जगहों पर नियमों को ताक पर रख कर निधि खर्च की गई। समिति ने अपनी सिफारिश में कहा है कि विभाग निधि का इस्तेमाल कर ITI में इंफ्रास्टेक्चर सुविधाओं का विकास करे। राज्य के सभी ITI के अत्याधुनिकीकरण के लिए व्यापक नीति तैयार की जाए। संबंधित विभाग को राज्य स्तर पर क्रियान्वयन समिति गठित करनी थी। लेकिन आज तक यह समिति भी गठित नहीं हो सकी।

वर्षों से लंबित हैं कोर्ट की इमारत का काम
समिति ने राज्य में न्यायालय इमारतों के निर्माण कार्य में हो रही देरी पर भी नाराजगी जताई है। महाराष्ट्र में कुल 464 कोर्ट इमारत हैं जबकि न्यायिक अधिकारियों की संख्या 2100 है। देश के अन्य राज्यों की तुलना में महाराष्ट्र में अधिक न्यायालय इमारत हैं। लेकिन मंजूर न्यायालय भवनों के निर्माण में देरी हो रही है। कोर्ट इमारतों का कार्य निश्चित समयावधि में पूरा करने के लिए हाईकोर्ट की ढांचागत सुविधा समिति द्वारा प्राथमिकता सूची तैयार कर देने का प्रावधान है। लेकिन प्राथमिकता सूची लंबित होने के कारण वित्त विभाग से निर्माण कार्य के लिए मान्यता नहीं मिल पा रही। लोकलेखा समिति ने सिफारिश की है कि कोर्ट इमारतों का कार्य जल्द से जल्द पूरा करने के लिए प्राथमिकता सूची तैयार करने के वास्ते विधि व न्याय विभाग हाईकोर्ट से निवेदन करें।  

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