साक्षरता अभियान के 600 प्रेरकों की छुट्टी,अभियान में ब्रेक लगते ही घर बैठाया

साक्षरता अभियान के 600 प्रेरकों की छुट्टी,अभियान में ब्रेक लगते ही घर बैठाया

Bhaskar Hindi
Update: 2018-07-03 07:49 GMT
साक्षरता अभियान के 600 प्रेरकों की छुट्टी,अभियान में ब्रेक लगते ही घर बैठाया

डिजिटल डेस्क, सीधी। साक्षरता अभियान के 6 सैकड़ा से अधिक प्रेरकों की छुट्टी कर दी गई है। अभियान पर ब्रेक लगते ही साक्षरता के अलावा मतदाता  जागरूकता, स्वच्छता अभियान, जनधन योजना, स्कूल चले हम आदि के लिए काम करने वाले प्रेरकों को घर बैठा दिया गया है। दो हजार रुपए प्रतिमाह के हिसाब से दिए जाने वाले मानदेय का भी अभी हिसाब-किताब नही हुआ है।

जिले की वर्ष 2013 में 64 प्रतिशत साक्षरता रही है जिसे बढ़ाने के लिए साक्षरता अभियान को पांच वर्ष के लिए फिर से लागू किया गया था। इस दौरान 1 लाख 14 हजार 586 लोगों को साक्षर करने का लक्ष्य रखा गया था जिसमें 1 लाख 6 हजार निरक्षर परीक्षा उत्तीर्ण कर लिए हैं। यह अलग बात है कि परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद भले ही हस्ताक्षर न कर पाते हों और पढ़ाई को भूल गए हों पर कागजों में लाख से ऊपर लोग साक्षर हो गए हैं। वर्तमान समय में साक्षरता का प्रतिशत 64 से बढ़कर 70 के करीब पहुंच गया है। साक्षर भारत योजना आगे जब फिर से शुरू होगी तो शेष निरक्षरों को साक्षर करने का काम किया जाएगा।

स्वच्छता अभियान कार्यक्रम का कार्य भी कर रहे थे
बता दें कि अभियान के तहत जिले में 605 प्रेरक नियुक्त किए गए थे। नियुक्त प्रेरक गांव के निरक्षरों को साक्षर करने का काम तो कर ही रहे थे साथ ही स्वच्छता अभियान कार्यक्रम के तहत अलसुबह गांव की रखवाली का काम भी कर रहे थे। मतलब सुबह कोई लोटा लेकर जा रहा है तो प्रेरक उसे जागरूक करने का काम कर रहे थे। दूसरे अधिकारी कर्मचारी प्रेरकों के भरोसे ही अभियान पर नजर रख रहे थे। इसके अलावा मतदाता जागरूकता अभियान, जनधन योजना में खाता खुलवाने के लिए प्रेरकों की ही मदद ली जा रही थी। व्हीआर सर्वे यानि स्कूल चले हम अभियान में भी प्रेरक झण्डा लेकर आगे चल रहे थे।

इतना ही नहीं अधिकांश प्रेरकों को तो बीएलओ की भी जिम्मेवारी सौंपी गई है। तमाम तरह की जिम्मेवारी का निर्वहन करने वाले प्रेरकों को प्रतिमाह दो हजार रुपए मानदेय दिया जा रहा था। कम मानदेय में ढेर सारा काम करने वाले प्रेरकों की मार्च महीने में छुट्टी कर दी गई है। इसके साथ ही उन्हें बता दिया गया है कि अब उनका कोई काम नही रह गया है। साक्षर भारत अभियान में ब्रेक लगने के साथ ही उन्हें घर बैठाया गया है। आगे किसी तरह का आंदोलन प्रदर्शन न हो इसके लिए आश्वस्त किया गया है कि जैसे ही फिर से अभियान की शुरूआत होगी उन्हें प्रेरक की जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है। जो भी हो वर्तमान में तो सुरक्षित भविष्य का सपना देखने वाले प्रेरक घर बैठा दिए गए हैं।

कागजी साक्षरता अभियान
जिले में पिछले पांच वर्ष के दौरान 1 लाख से अधिक निरक्षरों को साक्षर करने का दावा किया जा रहा है। कागजी तौर पर साक्षरता अभियान सफल भी बताया जा रहा है, लेकिन अभियान के दावे की साक्षर हुए लोग ही पोल खोल रहे हैं। बताया जाता है कि सांसद आदर्श ग्राम करवाही जिसे कागज में शत प्रतिशत साक्षर किया गया है, यहां तक कि गांव की निरक्षर सरपंच को साक्षर करने का ढिंढोरा पीटा गया है वह खुद भी निरक्षता के कलंक को नहीं धो पाई हैं। आयोजित परीक्षा में तो वह बैठी जरूर रहीं और उत्तीर्ण भी हो गईं किंतु भोपाल जाने पर जब हस्ताक्षर करने की बारी आई तो उन्हें हिचकते देखा गया है। गांव में आज भी निरक्षरों की संख्या पहले की तरह ही पाई जा रही है। जाहिर है जहां-जहां भी अभियान के तहत आंकड़े बढ़ाए गए हैं वहां ढोल में पोल ही देखने को मिल रही है।

इनका कहना है
साक्षर भारत अभियान के तहत शासन द्वारा जो कार्यक्रम तैयार किए गए थे उनकी समयावधि समाप्त हो गई है, जिस कारण प्रेरकों का काम खत्म हो गया है। अभियान को फिर से शुरू करने का निर्देश नहीं आया है जैसे ही नया निर्देश मिलेगा पुराने प्रेरक फिर से रखे जा सकते हैं। पिछला मानदेय भुगतान किया जा रहा है।
रामकृष्ण तिवारी, प्रभारी साक्षरता अभियान।

 

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