तीन साल बाद ‘आधार’ ने बच्चे को मां से मिलाया, अंगूठे के निशान से हो सकी शिनाख्त 

तीन साल बाद ‘आधार’ ने बच्चे को मां से मिलाया, अंगूठे के निशान से हो सकी शिनाख्त 

Anita Peddulwar
Update: 2018-07-26 12:42 GMT
तीन साल बाद ‘आधार’ ने बच्चे को मां से मिलाया, अंगूठे के निशान से हो सकी शिनाख्त 

डिजिटल डेस्क, मुंबई। आधार क्रमांक की अनिवार्यता को लेकर भले ही मामला अदालत में लंबित हो पर कई मौकों पर आधार कार्ड ने अपनी उपयोगिता साबित की है। ऐसा ही एक वाकया सामने आया जिसमें 3 साल पहले अपने परिवार से बिछड़े 14 साल के सागर धनगर आधार के चलते ही अपने परिवार से मिल सके।

तीन साल पहले स्कूल से लापता हुआ था बालक
दरअसल कल्याण के म्हारल गांव का रहने वाला सागर 15 जनवरी 2015 को स्कूल गया तो घर लौटा ही नहीं। काफी खोजबीन के बाद जब सागर का पता नहीं चला तो परिजनों ने मामले की सूचना ठाणे ग्रामीण पुलिस को दी। सागर का कोई पता नहीं चला तो ठाणे ग्रामीण पुलिस अधीक्षक डॉ महेश पाटील ने सागर को खोजने की जिम्मेदारी एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट ठाणे के एपीआई संजय बांगर को सौप दी। बांगर ने सागर का पता लगाने के लिए लापता बालक की जानकारी सभी पुलिस स्टेशनों और बाल सुधार गृहों को ईमेल द्वारा भेजा।  इस बीच  सागर भटकते हुए अहमदनगर के पाथर्डी गांव के नवोदय वेलफेयर होम में पहुंच गया।

मानसिक रुप से कमजोर था, आधार से मिली पहचान
बताया जाता है कि मानसिक रुप से कमजोर होने के कारण सागर केवल अपना नाम और शहर का नाम मुंबई बता पा रहा था। बार-बार वह सिर्फ इतना ही अपना पता बता रहा था। वहां के कर्मचारियों ने जब सागर की निजी जानकारी के उसकी बॉयोमैट्रीक जानकारी अंगूठे की छाप और आंखे के रेटिना की स्कैनिंग की तो उन्हें पता चला कि इस बच्चे की जानकारी पहले से ही आधार क्रमांक पर नाम के साथ दर्ज है। इसके बाद वेलफेयर होम ने तुरंत स्थानीय पुलिस से सम्पर्क कर इसकी जानकारी दी। इसके बाद मामले की जानकारी एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट ठाणे को दी गई। ठाणे पुलिस ने सागर को उसकी मां शारदा  को सौप दिया। इस तरह आधार एक बार फिर एक मां का आधार वापस लौटाने में सफल रहा।

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