मुंबई कोस्टल रोड प्रोजेक्ट : सुप्रीम कोर्ट ने पुनर्ग्रहण कार्य पर रोक लगाने की मांग पर मांगा जवाब

मुंबई कोस्टल रोड प्रोजेक्ट : सुप्रीम कोर्ट ने पुनर्ग्रहण कार्य पर रोक लगाने की मांग पर मांगा जवाब

Tejinder Singh
Update: 2020-02-25 15:01 GMT
मुंबई कोस्टल रोड प्रोजेक्ट : सुप्रीम कोर्ट ने पुनर्ग्रहण कार्य पर रोक लगाने की मांग पर मांगा जवाब

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बृहन्मुंबई महानगर के वर्ली सी-लिंक के वर्ली छोर के बीच तटीय सड़क परियोजना के चल रहे पुनर्ग्रहण कार्य पर रोक लगाने की मांग पर प्रतिवादी से जवाब मांगा है। सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने मंगलवार को कंजर्वेशन एक्शन ट्रस्ट (सीएटी) और कलेक्टिव फॉर स्पेटियल अल्टरनेटिव्स टुडे की उस याचिका पर सुनवाई की बृहन्मुंबई महानगर के वर्ली सी-लिंक के वर्ली छोर के बीच तटीय सड़क परियोजना के चल रहे पुनर्ग्रहण कार्य पर रोक लगाने की मांग की गई है। याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ वकील श्याम दीवान ने सुनवाई के दौरान कहा कि अधिकारियों द्वारा किए जा रहे पुन र्विचार कार्य सुप्रीम कोर्ट के 17 दिसंबर 2019 के आदेश का उल्लंघन कर किया जा रहा है जिसमें किसी भी तरह विकास कार्य करने पर रोक लगा दी थी। दीवन ने कहा कि अधिकारी तटीय पारिस्थितियों के लिए बहुत अधिक ध्यान दिए बिना गतिविधियों को अंजाम दे रहे हैं। इससे पर्यावरण को अपरिवर्तनीय नुकसान पहुंच रहा है। आवेदक के दावों पर हस्तक्षेप करते हुए वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि इसमें सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का कोई उल्लंघन नही हुआ है। कहा कि क्या वे हमसे समुद्र में खड़े होकर सड़क के कामों का विकास करने की उम्मीद करते हैं।

सुनवाई के दौरान एक हस्तक्षेपकर्ता ने इस तटीय क्षेत्र में चल रहे सुधार कार्य से प्रभावित हो रहे मछुआरों के हितों की ओर शीर्ष अदालत का ध्यान आकर्षित किया। इस पर मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि यह सुनिश्चित करें कि मछुआरों की आजीविका प्रभावित नहीं हो। मुख्य न्यायाधीश ने इस दौरान कोई निर्देश पारित किए बिना प्रतिवादियों को उक्त याचिका पर अपना जवाब दाखिल करने की अनुमति देते हुए इसे 5 मार्च 2020 को सूचीबद्ध किया। गौरतलब है कि बॉम्बे हाईकोर्ट ने तटीय सड़क परियोजना को दी गई तटीय विनियमन मंजूरी को कई अनियमितताओं के कारण रद्द कर दिया था, जिसे महाराष्ट्र तटीय क्षेत्र प्रबंधन प्राधिकरण ने अनदेखा कर दिया था। इसके बाद नगर निगम की एक अपील को स्वीकार करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 17 दिसंबर को बॉम्बे फैसले पर रोक लगा दी थी और प्राधिकरण को भूमि को फिर से आवंटित करने और नामित क्षेत्र में सड़क बनाने की अनुमति दी थी

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