कंगाली के दौर में भी होर्डिंग एजेंसियों से 10 करोड़ की वसूली करना भूला नगर निगम, महज नोटिस देकर कर दी खानापूर्ति

कंगाली के दौर में भी होर्डिंग एजेंसियों से 10 करोड़ की वसूली करना भूला नगर निगम, महज नोटिस देकर कर दी खानापूर्ति

Bhaskar Hindi
Update: 2021-02-10 08:24 GMT
कंगाली के दौर में भी होर्डिंग एजेंसियों से 10 करोड़ की वसूली करना भूला नगर निगम, महज नोटिस देकर कर दी खानापूर्ति

54 एजेंसियों से वसूली जानी है राशि, जो एजेंसियाँ अभी भी यूनिपोल, कियोस्क और पोस्ट साइनेज से कमाई कर रहीं हैं उन्होंने भी नहीं दिए 1 करोड़ रुपए, सब कुछ जानकर भी खामोशी साधे बैठे हैं जिम्मेदार
डिजिटल डेस्क जबलपुर ।
नगर निगम की माली हालत एकदम खराब है। कंगाली का रोना रोकर शहर में कोई भी काम नहीं कराए जा रहे हैं। सड़कों, नालियों से लेकर अन्य जरूरी कार्यों को भी टाला जा रहा है। वहीं वसूली के लिए दुकानदारों से लेकर गरीबों तक को चेतावनी दी जा रहा है। झोपड़े नीलाम करने की चेतावनी दी जा रही है, लेकिन एक मुश्त 10 करोड़ रुपए जिन होर्डिंग एजेंसियों पर बकाया है उनके सामने निगम के अधिकारी भीगी बिल्ली बन जाते हैं। गिड़गिड़ाते हैं, लेकिन कार्रवाई कभी नहीं करते। होर्डिंग  एजेंसियाँ शहर से प्रतिमाह लाखों रुपए पीट रहीं हैं फिर भी निगम को टैक्स देने में कोई न कोई बहाना बना दिया जाता है और निगम अधिकारी केवल नोटिस जारी कर खामोश हो जाते हैं। यह सब इसलिए क्योंकि एजेंसियों से अधिकारियों को मोटा कमीशन मिलता है, यही कारण है कि उन्हें हर वो छूट दे दी जाती है, जिसके लिए कानूनों में सख्त मनाही है। 
शहर भर में अवैध होर्डिंग्स और यूनिपोल ठोंककर होर्डिंग एजेंसियों ने करोड़ों रुपए की कमाई की। इस दौरान उनसे जितना राजस्व मिलना था नहीं मिला क्योंकि अधिकारियों को उनका कमीशन मिल जाता था, जिससे वे खामोश रहते थे। धीरे-धीरे एजेंसियों पर बकाया राशि करीब 9 करोड़ 64 लाख रुपए हो गई। इतनी भारी रकम देखकर एजेंसी संचालक एक हो गए और उन्होंने नगर निगम को कानूनों में फँसाना चाहा। करीब 5 सालों से यह रकम वसूल नहीं गई, जबकि शहर के किसी करदाता पर यदि कुछ हजार रुपयों का भी बकाया होता है, तो निगम उसे परेशान कर देता है। घरों के सामने बकायादार होने का पोस्टर चिपका दिया जाता है, लेकिन आज तक किसी भी होर्डिंग एजेंसी संचालक के खिलाफ ऐसी कार्रवाई क्यों नहीं की गई, यह शहर की आम जनता जानना भी चाहे तो कोई जवाब नहीं मिलता है। 
कई एजेंसियाँ मैदान से बाहर हो गईं
बहुत सी एजेंसियाँ तो ऐसी हैं जो पिक्चर से गायब हो गई हैं, इन पर जो राशि बकाया है उसे वसूलना भी अब मुश्किल हो रहा है। पहले कुछ एजेंसियों की सामग्री की जब्ती की जाती थी, लेकिन अब तो इनकी कोई सामग्री भी नहीं है। ऐसे में निगम के ही जानकारों का कहना है कि जो भी एजेंसी संचालक निगम को राशि नहीं चुका रहा है, उसके खिलाफ पुलिस में शिकायत की जाए या फिर उनके घरों या दुकानों की कुर्की की जाए, लेकिन अधिकारी ऐसा भी नहीं कर रहे हैं। 
जो एजेंसियाँ कार्य कर रहीं उन पर 1 करोड़ बकाया
फिलहाल नगर निगम सीमा में 4 एजेंसियों के यूनिपोल, जेंट्रीगेट, पोल कियोस्क, पोस्ट साइनेज आदि प्रदर्शित हैं और उनसे भी नगर निगम को 1 करोड़ रुपए से अधिक की राशि वसूलनी है, लेकिन लगातार नोटिस के बाद भी यह राशि नहीं चुकाई जा रही है। कायदा कहता है कि एजेंसी संचालकों पर कुर्की की कार्रवाई की जाए, उनकी सम्पत्तियों की नीलामी की जाए और हर हाल में निगम का राजस्व वसूला जाए, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है। 
इन एजेंसियों पर बकाया है राशि 
एजेंसी    बकाया राशि
सागरदीप एडवरटाइजिंग एजेंसी    71.8 लाख 
दीपक एडवरटाइजर्स     28. 61 लाख 
प्लानेट एडवरटाइजर्स     3.87 लाख 
आरके एडवरटाइजर्स     4 लाख 
पीएस की नहीं मानें तो किसकी मानेंगे 
होर्डिंग एजेंसी संचालकों का रुतबा कितना है यह इस बात से पता चलता है कि करीब दो साल पहले नगरीय प्रशासन विभाग के प्रमुख सचिव रहे संजय दुबे ने नगर निगम अधिकारियों की बैठक ली थी और कहा था कि हर हाल में होर्डिंग एजेंसियों से बकाया राशि की वसूली की जाए। संभव हो तो कुर्की भी की जाए और किसी को भी छोड़ा न जाए, लेकिन उनका आदेश भी हवा में उड़ा दिया गया। 
संचालकों की अचल सम्पत्ति की जानकारी एकत्र हो रही 
नगर निगम ने पूर्व में भी होर्डिंग एजेंसी संचालकों को बकाया राजस्व चुकाने के नोटिस जारी किए थे और हाल ही में फिर से नोटिस दिए गए हैं। अब सभी एजेंसी संचालकों की अचल सम्पत्ति की जानकारी एकत्र की जा रही है और जल्द ही उनके खिलाफ कुर्की की कार्रवाई की जाएगी। जिन एजेंसी संचालकों की सामग्रियाँ लगी हैं उन्हें जब्त भी किया जा सकता है। 
-भूपेन्द्र सिंह, होर्डिंग प्रभारी नगर निगम

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