मुस्लिम महिला भी घरेलू हिंसा कानून के तहत गुजारा भत्ता पाने की हकदार

मुस्लिम महिला भी घरेलू हिंसा कानून के तहत गुजारा भत्ता पाने की हकदार

Tejinder Singh
Update: 2018-05-16 12:35 GMT
मुस्लिम महिला भी घरेलू हिंसा कानून के तहत गुजारा भत्ता पाने की हकदार
हाईलाइट
  • मुस्लिम महिलाओं के लिए अलग से कानून है लेकिन यह कानून मुस्लिम महिला को घरेलू हिंसा कानून के तहत राहत पाने से नहीं रोकते है।
  • उसे भी इस कानून में संरक्षण दिया गया है।
  • बांबे हाईकोर्ट ने अपने एक आदेश में स्पष्ट किया है कि मुस्लिम महिला भी घरेलू हिंसा कानून के तहत गुजारा भत्ता पाने का हक रखती है।
  • बाटलीवाला ने याचिका में पारिवारिक अदालत के उस आदेश को चुनौती दी थी जिसके तहत उसे अपनी पत्नी को 25 हजार

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने अपने एक आदेश में स्पष्ट किया है कि मुस्लिम महिला भी घरेलू हिंसा कानून के तहत गुजारा भत्ता पाने का हक रखती है। उसे भी इस कानून में संरक्षण दिया गया है। हाईकोर्ट ने हुसैन बाटलीवाला (परिवर्तित नाम) की ओर से दायर याचिका को खारिज करते हुए यह फैसला सुनाया। बाटलीवाला ने याचिका में पारिवारिक अदालत के उस आदेश को चुनौती दी थी जिसके तहत उसे अपनी पत्नी को 25 हजार रुपए जबकि दो बच्चों के लिए बीस-बीस हजार रुपए गुजारा भत्ता देने का निर्देश दिया गया था।

जस्टिस भारती डागरे ने कहा कि कोई महिला मुस्लिम है सिर्फ इसलिए घरेलू हिंसा कानून के तहत राहत पाने की हक दार नहीं है। इस बात को स्वीकार नहीं किया जा सकता है। बाटलीवाला व उसकी पत्नी जुबेदा बोहरा समुदाय है। दोनों का विवाह 1997 में हुआ था। बाद में बाटलीवाला अपनी पत्नी से तलाक लेकर अलग हो गए। लेकिन जुबेदा (परिवर्तित नाम) ने इस बीच घरेलू हिंसा कानून के तहत गुजारे भत्ते की मांग को लेकर पारिवारिक अदालत में आवेदन दायर किया। अदालत ने जुबेदा के आवेदन को मंजूर कर लिया और पति को उसे 25 हजार रुपए जबकि बच्चों को बीस-बीस हजार रुपए गुजाराभत्ता देने का निर्देश दिया। बाटलीवाला ने इस आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी। 

सुनवाई के दौरान बाटलीवाला की वकील ने दावा किया कि मेरे मुवक्किल ने मुस्लिम विवाह अधिनियम के तहत अपनी पत्नी को तलाक दिया है। इसलिए अब मेरे मुवक्किल की पत्नी घरेलू हिंसा कानून के तहत गुजाराभत्ता नहीं मांग सकती है। इसके अलावा इस मामले से जुड़े पति-पत्नी का मामला मुस्लिम पर्सनल लॉ के अंतर्गत आता है। इसका विरोध करते हुए जुबेदा की वकील ने कहा कि घरेलू हिंसा कानून के प्रावधान मेरे मुवक्किल को गुजाराभत्ता की मांग करने से नहीं रोकते है। मेरी मुवक्लि मुस्लिम है सिर्फ इसलिए उसे घरेलू हिंसा कानून के तहत गुजाराभत्ता मंगाने नहीं रोका जा सकता है।

उन्होंने दावा किया मेरी मुवक्लि ने अब तक अपने पति की ओर से दिए गए तलाकनामा को स्वीकार नहीं किया है। मामले से जुड़े दोनों पक्षों को सुनने के बाद जस्टिस ने कहा कि घरेलू हिंसा कानून के प्रावधान किसी खास वर्ग की महिला तक सीमित नहीं है। मुस्लिम महिलाओं के लिए अलग से कानून है लेकिन यह कानून मुस्लिम महिला को घरेलू हिंसा कानून के तहत राहत पाने से नहीं रोकते है। यह कहते हुए जस्टिस ने बाटलीवाला की याचिका को खारिज कर दिया।  

 

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