कुलगुरु डॉ. काणे के अजीबो-गरीब बोल- नागपुर यूनिवर्सिटी बना एकेडमिक आतंकवाद का अड्डा

कुलगुरु डॉ. काणे के अजीबो-गरीब बोल- नागपुर यूनिवर्सिटी बना एकेडमिक आतंकवाद का अड्डा

Tejinder Singh
Update: 2019-03-09 13:06 GMT
कुलगुरु डॉ. काणे के अजीबो-गरीब बोल- नागपुर यूनिवर्सिटी बना एकेडमिक आतंकवाद का अड्डा

डिजिटल डेस्क, नागपुर। राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय की अंदरुनी राजनीति इन दिनों पूरे उफान पर है। विरोधकों से आए दिन दो-दो हाथ करने वाले कुलगुरु डॉ. सिद्धार्थविनायक काणे ने इसी राजनीति पर अपने विचार व्यक्त करते हुए शुक्रवार को लॉ कॉलेज में आयोजित जस्टा-कॉजा कार्यक्रम में विश्वविद्यालय को एकेडमिक दहशतवादियों का अड्डा बता दिया। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे कुलगुरु डॉ. काणे ने कहा कि, उन्हें कुलगुरु की जिम्मेदारी संभालते हुए चार साल हो गए हैं। अब अंतिम कुछ महीने बाकी हैं और काउंटडाउन शुरू हो गया है। बीते चार साल में उनके अनुभव मंे यह पता चला है कि, नागपुर विश्वविद्यालय एकेडमिक आतंकवाद का अड्डा बन गया है। अाए दिन नई तिकड़म भिड़ाकर नए प्रयोग करता रहता है, जिससे अन्य लोग भयभीत रहते हैं। अब अपने बाकि बचे दिनों में इन दहशदवादियों का इंतजाम करना है। हांलाकि डॉ.काणे ने इस भाषण में अपने विरोधियों का नाम  सार्वजनिक नहीं किया। 

जज और वकील की भूमिका में हूं

कहा कि, नागपुर विवि में अगर किसी नए मार्ग को अपनाया, तो तुरंत कुलगुरु पर सवालों की झड़ी लग जाती है। इसी कारण कोई ठोस निर्णय लेने में उन्हें बहुत समस्याओं को सामना करना पड़ता है। लॉ कॉलेज के इस कार्यक्रम में उपस्थित विधिज्ञों के बीच डॉ. काणे ने कानून की व्याख्या स्पष्ट करते हुए कहा कि, कोर्ट में वकील और जज होते हैं। जज के फैसला देने  के बाद कोई जज पर सवाल खड़े नहीं करता, लेकिन विवि में कुलगुरु को वकील और जज दोनों की भूमिका अदा करनी पड़ती है। कोई भी निर्णय लेने पर विरोधियों के  अनेक प्रकार के सवालों का उत्तर देने के लिए तैयार रहना पड़ता है। 

अब समझदारी नहीं, चतुराई से काम करूंगा 

काणे ने कहा-मुझे शेष बचे दिनों में अब समझदारी नहीं, चतुराई से काम करना होगा, ऐसा मुझे लगता है। उन्होंने चतुराई से बैटिंग करके एकेडमिक दहशदवादियों का निपटारा करने का दावा भी किया है। कुलगुरु ने विद्यार्थियों को विद्वान और समझदार के साथ साथ चतुर बनने की सलाह दी है। 
 

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