नागपुर में शहरी नक्सलवाद से इंकार नहीं किया जा सकता: CP डॉ. उपाध्याय

नागपुर में शहरी नक्सलवाद से इंकार नहीं किया जा सकता: CP डॉ. उपाध्याय

Anita Peddulwar
Update: 2018-09-07 06:16 GMT
नागपुर में शहरी नक्सलवाद से इंकार नहीं किया जा सकता: CP डॉ. उपाध्याय

डिजिटल डेस्क, नागपुर। पुलिस आयुक्त डॉ.भूषण कुमार उपाध्याय ने शहरी नक्सलवाद को लेकर मतभेद पर कहा कि यह बहुत ही संवेदनशील मसला है। शहरी क्षेत्र में नक्सलवाद से इनकार नहीं किया जा सकता है। नागपुर में तो बिल्कुल नहीं। पुलिस के पास नक्सल गतिविधियों की जानकारी है। गुप्त जांच एजेंसियां भी इन पर प्रमुखता से ध्यान दे रही हैं। स्ट्रीट क्राइम को रोकने के लिए समाज के सहयोग का आह्वान करते हुए

पुलिस आयुक्त ने कहा कि मामूली कारणों से हत्या जैसी घटनाओं की बढ़ती संख्या काफी दु:खद है। पुलिस कानून व्यवस्था बनाए रखने का पूरा प्रयास करती है। नागरिकों को भी इस मामले में सजग रहना होगा। पुलिस व नागरिकों के बीच संवाद व समन्वय बढ़ाने की दिशा में भी काम किया जा रहा है।  दैनिक भास्कर के संपादकीय सहायकों के साथ चर्चा में पुलिस आयुक्त ने विविध विषयों पर विचार साझा किए। 

नागपुर किसी आरामगाह से कम नहीं
पुलिस आयुक्त ने कहा कि नागपुर उनके लिए नया नहीं है, लेकिन हर क्षेत्र की तरह नागपुर में भी विविध मामलों में बदलाव आया है। वे इसका अध्ययन कर रहे हैं। पुरानी योजनाओं को नए सिरे से क्रियान्वित करने की दिशा में भी काम कर रहे हैं। शहरी नक्सलवाद पर चल रहे बहस के प्रश्न पर उन्होंने कहा कि पुलिस सबूतों के आधार पर ही धर-पकड़ करती है। नक्सलवाद से जुड़े लोगों के लिए नागपुर किसी आरामगाह से कम नहीं है। कोई बीमारी के बहाने यहां आता है, तो कोई काम करते हुए नक्सल गतिविधियों को बढ़ावा देता है। नक्सल विरोधी कार्रवाई के दौरान नागपुर में नक्सलियों के लिए बंदूकें व कारतूस उपलब्ध कराने वाली फैक्टरी पकड़ी जा चुकी है। हार्डकोर, थिंक टैंक, स्लीपर सेल के तौर पर नक्सली सक्रिय हैं। 

पहले अधिक था अपराध
पुलिस आयुक्त ने कहा कि नागपुर, औरंगाबाद व अमरावती को राज्य में सबसे अधिक अपराध वाले शहरों की श्रेणी में चिह्नित किया गया है। अपराध के कई कारण हैं। आर्थिक कमजोरी व बेरोजगारी को भी एक कारण माना जा सकता है। स्लम क्षेत्र सबसे अधिक प्रभावित रहते हैं। नागपुर शहर में अपराध का स्तर देखें, तो पहले यहां आपराधिक घटनाएं अधिक होती थीं। होली जैसे त्योहारों के दौरान हत्या की घटनाएं अक्सर होती थीं, लेेकिन अब स्थिति में बदलाव आया है।  

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