आदर्श शिक्षक पुरस्कार: खाली पड़ी रही कुर्सियां, शिक्षकों ने किया बहिष्कार

आदर्श शिक्षक पुरस्कार: खाली पड़ी रही कुर्सियां, शिक्षकों ने किया बहिष्कार

Anita Peddulwar
Update: 2018-09-06 09:25 GMT
आदर्श शिक्षक पुरस्कार: खाली पड़ी रही कुर्सियां, शिक्षकों ने किया बहिष्कार

डिजिटल डेस्क, नागपुर। शिक्षक दिवस पर नागपुर महानगरपालिका को खासी किरकिरी झेलनी पड़ी। सुरेश भट सभागृह में मनपा द्वारा आयोजित शिक्षक दिवस समारोह का मनपा के शिक्षकों ने पूरी तरह बहिष्कार किया। 5 शिक्षकों को आदर्श शिक्षक पुरस्कार देने की घोषणा की गई। सभागृह में इन नामों का ऐलान भी किया गया, लेकिन पांच में से एक भी शिक्षक, आदर्श पुरस्कार लेने नहीं पहुंचा। 80 सेवानिवृत्त शिक्षकों का कार्यक्रम में सम्मान होना था। 80 में से सिर्फ एक सेवानिवृत्त शिक्षक सम्मान स्वीकारने पहुंचा।

प्रोग्राम का किया बहिष्कार 
मनपा ने इन पांच शिक्षकों को आदर्श शिक्षक पुरस्कार देने की घोषणा की। दर्यानगर मराठी उच्च प्राथमिक शाला की प्रीति प्रदीप भोयर, संजय नगर हिंदी माध्यमिक शाला की मधु चंद्रशेखर पराड, संजय गांधी माध्यमिक शाला के ही सूर्यकांत भास्करराव मंगरुलकर, जानकीनगर मराठी प्राथमिक शाला के अशोक विरकटराव बालपांडे और सुभाषनगर प्राथमिक शाला के रामकृष्ण गाढवे को यह पुरस्कार देने की घोषणा की गई।

इसके अलावा उल्लेखनीय कार्य के लिए विशेष पुरस्कार अश्विनी फत्तेवार, भावना बजाज, विनय बरडे, सुभाष कापसे, निखत रेहाना, श्रीमती परिहार, संजय पुंड, अकिला खानम, वंदना माटे, रजनी देशकर को देने की घोषणा की गई। शिक्षकों ने कार्यक्रम पर बहिष्कार डालकर अनशन में शामिल हुए। 

आक्रामक हैं इस बार शिक्षक
गौरतलब है कि अपनी विविध मांगों को लेकर मनपा के शिक्षक आक्रामक हैं। 4 सितंबर से वे संविधान चौक पर श्रृंखलाबद्ध अनशन कर रहे हैं। 6 सितंबर तक उनका अनशन चलेगा। उन्होंने शिक्षक दिवस कार्यक्रम पर पहले से सामूहिक बहिष्कार का एेलान किया है। आगे भी मांगे पूरी नहीं होती है तो उन्होंने सामूहिक मुंडन की चेतावनी दी है। नागपुर महानगरपालिका शिक्षक संघ के अध्यक्ष राजेश गवरे ने बताया कि शिक्षक दिवस पर आदर्श शिक्षक पुस्कार देकर मनपा प्रशासन अपनी औपचारिकता पूरी कर रहा है, लेकिन वर्षों से समस्या बनी है। जो शिक्षक सहायक के रूप में नियुक्त होता है, वह सहायक होकर ही सेवानिवृत्त हो रहा है।

शिक्षकों की 24 वर्षों की सेवा के बाद भी उसे चयन श्रेणी प्राप्त नहीं होती है। प्राथमिक मुख्याध्यापकों के 25 और माध्यमिक मुख्याधापक के 18 जगह रिक्त हैं। शाला मुख्याध्यापक बिना चल रहे हैं। 12 वर्ष बाद भी शिक्षकों के छठवें वेतन आयोग का बकाया बाकी है। 70 महीने का महंगाई भत्ता लंबित है। आदर्श शिक्षकों को प्रशस्ति-पत्र के साथ दिए जाने वाले पुरस्कार सम्मान राशि मनपा देती नहीं है? आदि प्रश्न लंबित रहने पर कैसे शिक्षकों का सम्मान है। इन सभी विषयों को लेकर बार-बार निवेदन, आंदोलन, मोर्चे निकाले गए।

एक रिटायर्ड टीचर ने स्वीकारा सम्मान
विशेष यह कि भट सभागृह पूरी तरह खाली पड़ा। बड़ी मुश्किल से सभागृह में 25 लोग थे, जिसमें 13 कर्मचारी थे। किसी तरह महापौर नंदा जिचकार, शिक्षण सभापति प्रा. दिलीप दिवे, क्रीड़ा समिति नागेश सहारे आदि पदाधिकारी व अधिकारियों ने औपचारिकताएं पूरी कर कार्यक्रम खत्म किया। शिक्षकों के इस बहिष्कार से श्रृंखलाबद्ध अनशन पर बैठे शिक्षकों में भारी उत्साह है। वे अपने आंदोलन को सफल मान रहे हैं। मनपा के कार्यक्रम का बहिष्कार कर सभी शिक्षक संविधान चौक पर जमा हुए। जिन्होंने मनपा का आदर्श शिक्षक पुरस्कार स्वीकार नहीं किया, ऐसे सभी पांच शिक्षकों का वहां सम्मान किया गया। इसके अलावा 80 में से 79 सेवानिवृत्त शिक्षकों का भी सत्कार किया गया।  शिक्षकों की एकजुटता के लिए यह कदम महत्वपूर्ण माना गया। 

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