दो से ज्यादा बच्चे होने के आधार पर एपीएमसी चुनाव के लिए उम्मीदवार को नहीं ठहरा सकते अपात्र

दो से ज्यादा बच्चे होने के आधार पर एपीएमसी चुनाव के लिए उम्मीदवार को नहीं ठहरा सकते अपात्र

Tejinder Singh
Update: 2019-03-20 13:44 GMT
दो से ज्यादा बच्चे होने के आधार पर एपीएमसी चुनाव के लिए उम्मीदवार को नहीं ठहरा सकते अपात्र

डिजिटल डेस्क, मुंबई। कृषि उत्पाद बजार बजार अधिनियम (एपीएमसी) में ऐसा कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं है जो यह साफ करता हो कि चुनाव लड़नेवाले किसी उम्मीदवार को केवल इस आधार पर अपात्र ठहरा दिया जाए क्योंकि उसके दो से ज्यादा बच्चे है। बांबे हाईकोर्ट ने अपने एक आदेश में इस बात को स्पष्ट किया है। मामला कल्याण कृषि उत्पाद बजार समिति (एपीएमसी) की प्रबंध कमेटी के दिसंबर 2018 के चुनाव से जुड़ा है। जहां से कपिल थाले ने प्रेमनाथ म्हात्रे नाम के उम्मीदवार के दो से ज्यादा बच्चे होने के आधार पर उसका नामांकन रद्द कर उसे चुनाव के लिए अपात्र ठहराने की मांग की थी। चुनवा से जुड़े अधिकारियों ने जब थाले की इस आग्रह को स्वीकार नहीं किया तो उसने हाईकोर्ट में याचिका दायर की। 

न्यायमूर्ति आरवी मोरे व न्यायमूर्ति भारती डागरे की खंडपीठ के सामने याचिका पर सुनवाई हुई। इस दौरान थाले के वकील ने दावा किया कि महाराष्ट्र को.आपरेटिव सोसायटी अधिनियम 1960 की धारा 73सीबी(1) के तहत  म्हात्रे को अपात्र ठहरा दिया जाए। क्योंकि म्हात्रे के तीन बच्चे है। इसके अलावा स्टेट को.आपरेटिव इलेक्शन एथारिटी ने कल्याण  के एपीएमसी की प्रबंध कमेटी का चुनाव कराया है। इसलिए महाराष्ट्र को-आपरेटिव सोसायटी से जुड़ा कानून एपीएमसी के चुनाव पर लागू होता है। 

खंडपीठ ने याचिकाकर्ता के वकील की इस दलील पर असहमति व्यक्त करते हुए कहा कि पहले डिप्टी रजिस्ट्रार चुनाव कराता था इस बार स्टेट को-आपरेटिव इलेक्शन एथारिटी ने चुनाव कराए है सिर्फ इसलिए को.आपरेटिव सोसायटी अधिनियम 1960 के सारे प्रावधान एपीएमसी के चुनाव अपने आप लागू हो जाएगे। एपीएमसी अधिनियम में ऐसा कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं है जो यह साफ करे की चुनाव लड़नेवाले उम्मीदवार को केवल इसलिए अपात्र ठहरा दिया जाए कि क्योंकि उसके दो से ज्यादा बच्चे है।

इस तरह के कानूनी प्रावधान के अभाव में हम याचिकाकर्ता की मांग को स्वीकार नहीं कर सकते है। म्हात्रे के नामांकन भरने के बाद याचिकाकर्ता ने संक्षम अधिकारी के पास अपील भी की थी लेकिन अधिकारी ने भी याचिकाकर्ता के आवेदन को खारिज कर दिया था। मामले से जुड़े सभी पक्षों को सुनने के बाद खंडपीठ ने कहा कि हमे याचिका में कोई आधार व सार नजर नहीं आता है इसलिए उसे खारिज किया जाता है। 

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