अचानक सर्जरी या दुर्घटना पर नसीब नहीं उपचार, कोई कंसल्टेंट नहीं रख रहा हाथ 

अचानक सर्जरी या दुर्घटना पर नसीब नहीं उपचार, कोई कंसल्टेंट नहीं रख रहा हाथ 

Bhaskar Hindi
Update: 2021-05-14 12:07 GMT
अचानक सर्जरी या दुर्घटना पर नसीब नहीं उपचार, कोई कंसल्टेंट नहीं रख रहा हाथ 

कोरोना से अलग दूसरे रोगों से जूझ रहे मरीजों की शामत, सलाह तक मुश्किल
डिजिटल डेस्क जबलपुर ।
कोरोना महामारी के दौर में जो लोग इस वायरस की गिरफ्त में हैं, वे  तो परेशान हैं ही, साथ ही उन मरीजों की भी शामत है  जो दूसरे रोगों से पीडि़त हैं। शहर में हालत यह है िक यदि किसी को अचानक किसी सर्जरी की जरूरत पड़ जाए तो यह सहज रूप में हो पाना एकदम कठिन है। दाँत में अचानक दर्द हो या फिर पैर में चोट लग जाए तो एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल तक भटकाव ही पीडि़त के हाथ आ रहा है। कोई कंसल्टेंट, सर्जन  ऐसे पीडि़तों पर हाथ रखने तैयार नहीं हो रहा है। परिजन कहते हैं कि टेलीमेडिसिन ऐसे केसों में की जा सकती है जिनमें मामला फिजीशियन से रिलेटेड हो लेकिन जब डायलिसिस ही होना है तो कैसे काम चल सकता है। प्लांड सर्जरी जरूर बंद कर दी गई हैं लेकिन प्रशासन दुर्घटना में  सर्जरी हो रही हैं कि नहीं इस ओर भी ध्यान दे रहा है। पीडि़तों को यहाँ से वहाँ मामूली समस्या बताकर भटकाया जा रहा है। 
परामर्श देने तैयार नहीं विशेषज्ञ  
सुहागी महाराजपुर निवासी रवि दुबे गुर्दे की गंभीर समस्या से जूझ रहे हैं। बिस्तर से उठने की हिम्मत नहीं और एम्बुलेंस से किसी अस्पताल में परिजन ले भी जाएँ तो कोई विशेषज्ञ देखने तैयार नहीं है। इन हालातों में पीडि़त बेहद तकलीफ में है तो परिवारजन भी मानसिक परेशानी से जूझ रहे हैं। एक बार यदि कंसल्टेंट का सही परामर्श मिल जाए तो कुछ राहत मिल सकती है, पर पीडि़त कोरोना काल में कई दिनों से इलाज को लेकर खासे हलाकान हैं। 
फिर नागपुर में हो सकी सर्जरी 
शोभापुर निवासी  62 वर्षीय पूर्व सरकारी कर्मचारी की पीछे की नस कुछ इस तरह चढ़ी की उठते-बैठते कमर में बेतहाशा दर्द हो रहा था। यहाँ स्पाइन के चिकित्सकों से संपर्क िकया तो उन्होंने कहा कि तात्कालिक कुछ इलाज दिया जा सकता है लेकिन सर्जरी नहीं हो सकती है। यहाँ-वहाँ चक्कर काटे, कोविड निगेटिव की रिपोर्ट से भी काम नहीं बना मजबूरी में नागपुर के अस्पताल में जाकर इन्होंने सर्जरी कराई तब जाकर आराम लगा। 
ओपीडी पेशेंट गायब हो गए 6 मेडिकल कॉलेज अस्पताल के आउट डोर पेशेंट डिपार्टमेंट में हर दिन औसत रूप से 700 से 800 मरीज सामान्य दिनों में आते थे जिनमें से 50 फीसदी को इलाज की बेहद सख्त जरूरत होती थी। इसी तरह विक्टोरिया में 300 पेशेंट ओपीडी में आते थे। इन अस्पतालों में अभी 5 से 8 प्रतिशत ही ओपीडी में पेशेंट आते हैं लेकिन इनको गंभीरता पूर्वक इलाज मिलना मुश्किल है।  
किस तरह के पीडि़त 
 गुर्दे की समस्या, रूटीन डायलिसिस, स्टोन, कान, नाक दर्द, आँख की परेशानी, पैर-हाथ टूटना, न्यूरो सर्जरी, नसों में पीड़ा, स्किन, गायनिक प्रॉब्लम, हार्ट रिलेटेड प्रॉब्लम, उच्च रक्तचाप, बढ़ा मधुमेह, सीने में दर्द, कई तरह के कैंसर, सिंकाई। अनेक हेल्थ रिलेटेड परेशानी जिनका समाधान अभी कठिन है।
इनका कहना है
जनरल मरीजों का इलाज अस्पतालों में चालू है। आज ही कुछ अस्पतालों में न्यूरो सर्जरी की गई, कुछ में अस्थियों के ऑपरेशन िकये गये। अब कोविड बेड को सरेंडर हो रहे हैं उनकी जगह जनरल पेशेंट आने लगे हैं। 
-डॉ. संजय छत्तानी नोडल अधिकारी 
 

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