अब बैगा छात्राओं को मिलेगी जापानी पद्धति से शिक्षा, मदद की राह हुई आसान

अब बैगा छात्राओं को मिलेगी जापानी पद्धति से शिक्षा, मदद की राह हुई आसान

Bhaskar Hindi
Update: 2020-07-06 13:01 GMT
अब बैगा छात्राओं को मिलेगी जापानी पद्धति से शिक्षा, मदद की राह हुई आसान

डिजिटल डेस्क अनूपपुर । पुष्पराजगढ़ क्षेत्र मेंं संरक्षित बैगा जनजाति की छात्राओं को अब अंतरराष्ट्रीय स्तर की शिक्षा मिल सकेगी। छात्राओं को नि:शुल्क शिक्षा प्रदान करने के लिए रामकृष्ण परमहंस सेवा आश्रम द्वारा संचालित मां शारदा कन्या विद्यापीठ आवासीय विद्यालय में जल्द ही जापान की मदद से आधुनिक कंप्यूटर लैब, स्मार्ट क्लास रूम के साथ ही अन्य तरह की सुविधाएं शुरू हो जाएंगी।   
दरअसल, 1995 से संचालित इस स्कूल की कार्यप्रणाली से प्रभावित होकर काउंसलेट जनरल ऑफ  जापान द्वारा 2019 में आधुनिक शिक्षा के संबंध में स्कूल को एक प्रस्ताव भेजा गया था। इसके लिए स्कूल के साथ अनुबंध किया जाना था, लेकिन विद्यालय के पास जमीन की लीज नहीं होने के कारण अनुबंध नहीं हो पाया था। 30 जून को कलेक्टर अनूपपुर चंद्र मोहन ठाकुर द्वारा संस्था के सचिव डॉ. प्रवीर सरकार को भूमि के दस्तावेज प्रदान किए गए थे जिसके बाद अब बैगा छात्राओं के लिए विदेशों से मदद की राह आसान हो गई है।
भूमि दस्तावेज नहीं होने से अटक था प्रोजेक्ट
सरंक्षित बैगा जनजाति की छात्राओं को आधुनिक शिक्षा प्रदान करने के लिए वर्ष 2019 में जापान के काउंसलेट जनरल ने विद्यालय से संपर्क किया था। सभी अहर्ताएं पूरी थी, किंतु संस्था के पास भूमि के दस्तावेज नहीं थे जिसकी वजह से यह प्रोजेक्ट अटक गया। अब एक बार फिर नए सिरे से प्रयास किया जा रहा है। बताया जाता है कि जापान समेत दो अन्य देशों ने भी इस विद्यालय में अपना सहयोग प्रदान करने की बात कही है। काउंसलेट जनरल ऑफ  जापान द्वारा भेजे गए प्रस्ताव में छात्राओं के लिए आधुनिक कंप्यूटर लैब, स्मार्ट क्लासरूम के साथ ही इंडियन आयल कारपोरेशन द्वारा क्लास रूम का निर्माण तथा एसईसीएल द्वारा डायनिंग हॉल का निर्माण कराया जाना है। बता दें कि पहली से आठवीं तक संचालित इस विद्यालय में वर्तमान में 90 छात्राएं अध्ययनरत हैं। यहां से पढ़के निकली 22 छात्राओं को अब तक शासकीय नौकरी मिल चुकी है। 
भूमि हस्तांतरण में लगे 25 साल
संस्था के सचिव डॉ. प्रवीर सरकार ने बताया कि विद्यालय के लिए 2 एकड़ भूमि गोंड जनजाति के गुलाब सिंह नामक ग्रामीण द्वारा दी गई थी। नियमों के तहत इसका हस्तांतरण नहीं किया जा सका था। तब उन्होंने इस भूमि को शासन को सौंपा था। तब से लेकर अब तक फाइलें विभिन्न कार्यालयों में दौड़ती रही। वर्ष 2020 में कलेक्टर अनूपपुर चंद्रमोहन ठाकुर ने इसके लिए प्रयास शुरू किया। 3 मार्च 2020 को कैबिनेट से लीज प्रदान करने का प्रस्ताव पास हुआ। इसके बाद संस्था को लीज के दस्तावेज प्राप्त हो गए हैं।

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