वसूली के लिए अब इंटरनेट कॉल कर धमकाने लगे हैं माफिया, वारदातों में हुई बढ़ोतरी

वसूली के लिए अब इंटरनेट कॉल कर धमकाने लगे हैं माफिया, वारदातों में हुई बढ़ोतरी

Tejinder Singh
Update: 2019-01-23 13:15 GMT
वसूली के लिए अब इंटरनेट कॉल कर धमकाने लगे हैं माफिया, वारदातों में हुई बढ़ोतरी

डिजिटल डेस्क, मुंबई। पिछले कुछ सालों से लगातार घट रहे जबरन वसूली के मामलों में बीते साल 33 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई है। विदेश में बैठे माफिया सरगना एक बार फिर मुंबई के रईसों को फोन कर हफ्ता मांगने लगे हैं। इसकी बड़ी वजह है इंटरनेट टेलिफोन की सुविधा। पुलिस सूत्रों के मुताबिक माफिया अब धमकी वाले कॉल के लिए विभिन्न साफ्टवेयर का इस्तेमाल कर रहे हैं। इस तकनीक के चलते पुलिस के लिए आरोपियों तक पहुंचना और मुश्किल हो गया है।

साल 2018 में मुंबई में जबरन वसूली के 228 मामले दर्ज किए गए जबकि साल 2017 में इस तरह की 195 शिकायते सामने आई थी। जो पिछले पांच सालों में सबसे कम थी। साल 2016 में भी जबरन वसूली के 228 मामले दर्ज किए गए थे जबकि साल 2015 में इन मामलों की संख्या 253 थी। जबरन वसूली विरोधी विरोधी प्रकोष्ठ (एईएस) से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि इंटरनेट के जरिए वसूली के लिए फोन आने से सबसे बड़ी परेशानी यह हुई है कि अपराधी किस जगह है, इसका अंदाजा नहीं मिल पाता है। इसके अलावा पहले किसी को वसूली के लिए फोन आने पर पुलिस नंबर ट्रैक कर लेती थी। इसके बाद उन नंबरों की जानकारी भी हासिल कर ली जाती थी जो इनसे लगातार संपर्क में रहते थे। लेकिन अब इंटरनेट कॉल के चलते ऐसा करना मुश्किल हो गया है।

इंटनेट कॉल आने के बाद इसकी जानकारी जुटाने की प्रक्रिया काफी जटिल है। मामले में गूगल जैसी कंपनियों से जानकारी इकठ्ठा करने में काफी वक्त लग जाता है और तब तक माफिया सरगना अपनी लोकेशन बदल लेते हैं। अधिकारी ने बताया कि बाजार में ऐसे-ऐसे साफ्टवेयर उपलब्ध हैं, जिससे इंटरनेट कॉलिंग करने पर किसी और का मोबाईल नंबर डिस्प्ले होता है। इससे वे पुलिस को चमका देने की कोशिश करते हैं।  

सोशल मीडिया से टोह

मुंबई पुलिस की हफ्ता वसूली विरोधी पथक ने हाल ही में कुछ मामलों में पाया कि आरोपियों ने लोगों की आर्थिक स्थिति की टोह सोशल मीडिया से भी ली गई है। दरअसल विदेश में बैठकर वसूली के लिए फोन करने वाले माफिया सरगनाओं ने मालदार लोगों के जानकारी जुटाने के लिए गुर्गे पाल रखें हैं जिन्हें जानकारी के बदले मोटा कमीशन दिया जाता है। पकड़े गए कुछ गुर्गों ने पूछताछ में खुलासा किया है कि लोगों की आर्थिक हैसियत का अंदाजा लगाने के लिए उन्होंने सोशल मीडिया की भी मदद ली थी। एक अधिकारी ने बताया कि सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने वाले अक्सर अपने आलीशान घर, गाड़ी और देश विदेश में बिताई गई छुट्टियों की तस्वीरें सोशल मीडिया पर साझा करते हैं। लेकिन माफिया सरगनाओं के लिए काम करने वाले गुर्गे इससे उनका आर्थिक हैसियत का अंदाजा लगाते हैं और फिर उनसे जुड़ी जानकारी और फोन नंबर हासिल कर विदेश में बैठे अपने आकाओं तक पहुंचाते हैं। 

जबरन वसूली के दर्ज मामले

साल              2014      2015      2016     2017     2018
दर्ज मामले       238        253       228       195       228
 

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