शहर की इन बंद स्कूलों पर लगेगा बाजार

शहर की इन बंद स्कूलों पर लगेगा बाजार

Anita Peddulwar
Update: 2019-07-01 09:51 GMT
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डिजिटल डेस्क, नागपुर।  मनपा ने शहर के कुछ मनपा मराठी माध्यम के स्कूलों को बंद कर वहां बाजार शुरू करने का निर्णय लिया है। इस फैसले के खिलाफ सामाजिक कार्यकर्ता, साहित्यकार और शिक्षा वर्ग एकजुट हुआ है। मराठी भाषा बचाओ कृति समिति ने रविवार को पत्रकार परिषद आयोजित कर मनपा के इस फैसले का विरोध किया है। समिति के अनुसार मनपा इन स्कूलों की इमारतों पर 18 करोड़ खर्च करके बाजार बनाने की तैयारी कर रही है, यदि यही राशि स्कूलों में सुविधा देने पर खर्च की जाए, तो स्कूलों को बंद करने की नौबत ही नहीं आती। हाईकोर्ट ने भी बंद होते मराठी स्कूलों पर गंभीर रूख अख्तियार किया है। मनपा को अगले माह इस मामले में अपना उत्तर कोर्ट में प्रस्तुत करना है, लेकिन मनपा का हालिया बजट देख कर ऐसा प्रतीत होता है कि मनपा को मराठी स्कूल बंद करने में ही रुचि है। 

शिक्षा से वंचित होंगे बच्चे

मराठी स्कूल बंद होने से हजारों बच्चे अपनी मातृभाषा में शिक्षा से वंचित रहेंगे। जनमत के खिलाफ जाकर मनपा स्कूलें बंद कर रही है। पत्रकार परिषद मंे जानकारी दी गई कि स्कूल शुरू रखने के लिए समिति मुख्यमंत्री से लेकर मनपा आयुक्त तक विविध स्तरों पर ज्ञापन सौंपेगी। परिषद में अखिल भारतीय मराठी साहित्य महामंडल के पूर्व अध्यक्ष श्रीपाद जोशी, सामाजिक कार्यकर्ता जम्मू आनंद, स्त्री शिक्षा संस्था  संचालक  रवींद्र फडणवीस, भाषा भारती के रवींद्र देवघरे और धरमपेठ राजाराम वाचनालय के अनिल चनाखेरकर उपस्थित थे। 

यूनिवर्सिटी करेगा 107 शिक्षकों की कांट्रैक्ट बेसिस पर नियुक्ति

यूनिवर्सिटी ने अपने यहां शैक्षणिक सत्र 2019-20 के लिए 107 शिक्षकों की कांट्रैक्ट बेसिस पर नियुक्ति करने का निर्णय लिया है।यूनिवर्सिटी ने हाल ही में इसके लिए विज्ञापन जारी किया है। पिछले वर्ष भी नागपुर विवि ने 72 कांट्रैक्ट शिक्षकों को नियुक्ति किया था, जिनका कार्यकाल 30 अप्रैल 2019 को पूरा हो गया। अब विवि नए सिरे से नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करेगा। 

24 हजार सैलरी

इन शिक्षकों को 24 हजार प्रतिमाह की सैलरी पर 30 अप्रैल 2020 तक का कार्यकाल मिलेगा। यूनिवर्सिटी में बीते लंबे समय से करीब 250 शिक्षकों के पद खाली है। स्थाई पदभर्ती की प्रक्रिया को राज्य सरकार पहले ही रोक चुकी थी। इस सब का असर सीधे विद्यार्थियों पर पड़ रहा था। जल्द ही यूनिवर्सिटी में नैक का मूल्यांकन भी हाेना है, इतनी बड़ी संख्या में शिक्षकों के खाली पद यूनिवर्सिटी के ग्रेडेशन पर भी बुरा प्रभाव डालता है। यूनिवर्सिटी द्वारा 38 विभागों और 3 महाविद्याालयों का संचालन होता है। यहां नियमित शिक्षकों के पद खाली होने के कारण बड़ी संख्या में कांट्रिब्यूटरी शिक्षकों की नियुक्तियां की जाती है, जिन्हें प्रति लेक्चर के हिसाब से वेतन दिया जाता है, लेकिन लेक्चर पूरा होने के बाद ये शिक्षक सेवाभार से मुक्त हो जाते हैं। इसके बाद विभाग में कोई शिक्षक नहीं मिलता।
 

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