OMG : कभी देखा है पानी बचाने का कॉम्पटीशन

OMG : कभी देखा है पानी बचाने का कॉम्पटीशन

Bhaskar Hindi
Update: 2017-08-07 07:34 GMT
OMG : कभी देखा है पानी बचाने का कॉम्पटीशन

डिजिटल डेस्क,पुणे। आपने अपने जीवन में डांस,ड्राइंग, फैशन और स्पोर्ट्स से लेकर कई तरह की प्रतियोगिता देखी होंगी, लेकिन क्या आपने कभी पानी जमा करने की क्षमता का अनोखा कॉम्पटीशन देखा है। शायद नहीं, लेकिन पुणे में पानी बचाने के लिए एक अनूठा टूर्नामेंट होता है।

दरअसल वॉटर फाउंडेशन ने महाराष्ट्र में दो साल पहले इसकी शुरूआत की थी। साल 2016 में इस अनूठे टूर्नामेंट में 116 गांव शामिल हुए और 1368 करोड़ लीटर पानी का स्टोरेज किया। इससे करीब 272 करोड़ रुपए का खर्च बचा था। इस साल 1300 गांव शामिल हुए हैं। इन्होंने 8261 करोड़ लीटर क्षमता तैयार की है। ये गांव सूखा प्रभावित विदर्भ, मराठवाड़ा और प.महाराष्ट्र के 13 जिलों से हैं। वॉटर फाउंडेशन के फाउंडर अभिनेता आमिर खान बताते हैं कि पानी फाउंडेशन किसी गांव को पैसा नहीं देता। सिर्फ ट्रेनिंग देता है। हम लक्ष्मी नहीं, सरस्वती देते हैं।  

फाउंडेशन  के सत्यजीत भटकल कहते हैं कि सूखा नैसर्गिक है, ये सोच तोड़नी थी।  श्रमदान ऐसी जादू की छड़ी थी, जिससे लोग साथ आए। सिर्फ इंस्पायर करना नहीं, ट्रेनिंग जरूरी है। केंद्र में पैसा नहीं लोग थे। दया नहीं स्वाभिमान था। ये सूखे को चुनौती थी।अमरावती कलेक्टर किरण गिते कहते हैं कि वाठवोड़ गांव के ढाई सौ लोगों ने एक दिन में सुबह 6 से 10 बजे के बीच मिट्टी से बांध बना दिया। सरकारी तरीके से अगर ये बांध बनाया जाता तो उसमें 8 लाख रुपए लगते और औपचारिकताओं में 8 महीने लग जाते।

वर्धा के गांव को फर्स्ट अवॉर्ड 
कॉम्पटीशन का फर्स्ट अवॉर्ड (50लाख व ट्रॉफी) वर्धा जिले की आर्वी तहसील के काकाद्दारा गांव को दिया गया। वहीं दूसरी पुरस्कार संयुक्त रूप से सातारा जिले के भोसारे व बीड़ जिले जयभायवाड़ी गांव को मिला। तीसरा पुरस्कार भी संयुक्त रूप इन दोनों जिलों के बिदल व पलासखेड़ा गांव को मिला।

एकला चलो रे
सोलापुर के गांव वागेड़ का एक व्यक्ति ट्रेनिंग लेकर आया और गांववालों को मनाने की कोशिश की। पर कोई श्रमदान को राजी नहीं हुआ। उस व्यक्ति ने दो दोस्तों के साथ ही श्रमदान शुरू कर दिया। आमिर को जब ये पता चला तो वे पत्नी के साथ गांव पहुंचे और श्रमदान किया। अगले ही दिन से गांव के 22 लोग उनके साथ श्रमदान के लिए जाने लगे।विदर्भ के चारमोली गांव की महिलाओं ने मशीनों के लिए अपनी पेंशन का हिस्सा दे दिया। शिरला गांव की अनीसा ने तो अपनी सगाई के लिए जमा रकम वॉटर कैंप के काम में लगा दी। यहां तक कि उसने अपनी शादी की तारीख भी आगे बढ़ा दी, ताकि टूर्नामेंट में भाग ले सके।

जुगाड़ से बनाया बांध
65 साल के मासकू शिंगाड़े येलमारवाड़ी गांव से हैं। वॉटर कैंप के बहाने उनके अंदर का साइंटिस्ट बाहर आया। उन्होंने अपने गांव में लोहे के पिलर और टिनशेड से बांध तैयार कर डाला। सिर्फ 32 हजार रुपए में ये बांध तैयार हो गया। उस्मानाबाद के सक्कारवाड़ी में बोरवेल में पंप की जरूरत नहीं पड़ रही है। बारिश के बाद इतना पानी है कि बिजली के तार निकाल दिए हैं। पानी खुद बाहर आ रहा है। गांव के बुजुर्ग कहते हैं 60-70 साल में पहली बार गांव के बांध को भरते देखा है।

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